“रेलवे स्टेशन का इंतज़ार” – भाग 1 – Real Horror Story in Hindi
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स्थान: कोलियापुर – एक छोटा-सा कस्बा जो ज़्यादातर शांत रहता है, पर इसकी रातें अक्सर सन्नाटे से भरी होती हैं।
कहानी शुरू होती है…
साल 2009 का अगस्त महीना था। बरसात की नमी अब भी हवा में थी। अँधेरा होते ही कोलियापुर जैसे कस्बों में सन्नाटा पसर जाता है। रेलवे स्टेशन पर बहुत कम ही लोग रात के वक़्त होते हैं। पर उस रात, 22 साल का रवि प्लेटफार्म पर बैठा ट्रेन का इंतज़ार कर रहा था।
वो दिल्ली जा रहा था इंटरव्यू के लिए। ट्रेन आने में अभी दो घंटे बचे थे। प्लेटफार्म पर एक चाय की दुकान खुली थी, जहाँ से हल्की रोशनी आ रही थी। बाकी सब तरफ़ सिर्फ अँधेरा और खामोशी।
रवि ने घड़ी देखी — रात के 1:15 बजे थे। तभी दूर से एक बूढ़ा आदमी आता दिखाई दिया। उसकी चाल धीमी थी, आँखें गड्ढों में धंसी हुई और कपड़े गीले और मैले थे। वह सीधा रवि के पास आया और बिना कुछ कहे उसके पास ही बेंच पर बैठ गया।
कुछ मिनट बाद, बूढ़ा आदमी अचानक बोला —
“बेटा, तुम्हारी ट्रेन तो सुबह की है… इतनी जल्दी क्यों आ गए?”
रवि चौंका, पर जवाब दिया —
“बस… घर से जल्दी निकल पड़ा था। यहीं बैठा हूँ, जैसे ही आएगी, चढ़ जाऊँगा।”
बूढ़ा आदमी मुस्कराया, पर उसकी मुस्कान में कुछ अजीब था। उसकी आँखें… जैसे चमक रही थीं। उसने धीरे से कहा —
“यह स्टेशन… रात में अजनबियों को पसंद नहीं करता।”
रवि असहज हो गया, उसने अपना बैग उठाया और दुकान की तरफ चल पड़ा। पीछे पलटकर देखा तो बेंच खाली थी। बूढ़ा आदमी कहीं नहीं था। चायवाले से पूछा —
“अभी जो बूढ़ा आदमी मेरे पास बैठा था… कहाँ गया?”
चायवाला चौंका —
“कौन बूढ़ा आदमी? यहाँ तो पिछले आधे घंटे से कोई नहीं आया, भाईसाहब…”
रवि के रोंगटे खड़े हो गए। क्या वो बूढ़ा आदमी…?
अभी तो रात शुरू हुई थी…