भैरवपुर – एक श्रापित गाँव (Bhairavpur – The Cursed Village) – horror Story in hindi

Horror Story in Hindi उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में बसा था एक गाँव — भैरवपुर। इतिहास में दर्ज नहीं, नक्शों में गुम। कहते हैं, वहाँ एक ऐसा श्राप है जिसे सुनकर भी रूह काँप जाती है। वहाँ कोई जाता नहीं, और जो जाता है… लौट कर नहीं आता।
भैरवपुर - एक श्रापित गाँव- Horror Story in hindi
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🎭 भाग 6: रक्तबिंदु द्वार

कुंड से उठती लाल धुंध अब पूरे कमरे में फैल चुकी थी। वो बिना चेहरे वाली आकृति सीधी मीरा की ओर बढ़ी।

“हट जाओ!” रघु चिल्लाया और सामने आ गया।

पर जैसे ही वह आकृति उसके पास पहुँची, एक झटका सा लगा — और रघु जमीन पर गिर पड़ा, आँखें खुली हुईं… पर बोल नहीं पा रहा था।

“रघु!!” मीरा चीख पड़ी।

आदित्य ने तुरंत रघु की नब्ज देखी। “ज़िंदा है… लेकिन किसी गहरे डर में चला गया है। जैसे आत्मा को जकड़ लिया गया हो।”

उसी समय, कुंड के पास की दीवार दरकने लगी। दीवार के बीचोंबीच एक दरवाज़ा उभरा — लाल रंग का, जिस पर संस्कृत में लिखा था:
“रक्त के बिना प्रवेश निषिद्ध।”

आदित्य ने काँपती आवाज़ में कहा, “यही है रक्तबिंदु द्वार…”

मीरा घबरा गई, “अब क्या करेंगे? ये दरवाज़ा कैसे खुलेगा?”

तभी पास में एक छोटा कटार रखा नज़र आया — उसके नीचे लिखा था:
“स्वेच्छा से दिया गया रक्त ही खोलता है द्वार।”

आदित्य ने बिना कुछ कहे कटार उठाई और अपनी हथेली पर चीरा लगाया। खून की कुछ बूँदें जैसे ही दरवाज़े पर गिरीं, पूरा कमरा काँप उठा।

दरवाज़ा धीरे-धीरे खुलने लगा… एक अजीब सी गंध के साथ।

अंदर अंधेरा था, पर वहाँ से आती एक ध्वनि थी — जैसे सैकड़ों लोग एक साथ मंत्र जप रहे हों… लेकिन उनकी आवाज़ों में पीड़ा थी।

मीरा ने आदित्य का हाथ पकड़ा, “हमें वाकई अंदर जाना चाहिए?”

आदित्य ने रघु को उठाया, जो अब भी बेहोशी की हालत में था, और बोला, “हमें इस सबका अंत करना ही होगा… जो भी इसमें छिपा है।”

तीनों ने जैसे ही उस दरवाज़े को पार किया… दरवाज़ा ज़ोर से बंद हो गया।

और अंदर… एक और दुनिया थी — उल्टा लटकता हुआ मंदिर, उलटे लटके हुए शरीर… और बीच में बैठा था एक तांत्रिक — काले वस्त्र में, आँखें बंद… और माथे पर जली हुई राख।

उसने आँखें खोलीं और बोला —
“तो… तुम आ ही गए…”

(जारी है…)

👁️ अगले भाग की झलक: वह तांत्रिक कौन है? और क्या यह ही है भैरवपुर के श्राप का केंद्र?

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