🎭 भाग 8: रघु का रूपांतरण
जैसे ही रघु ने तांत्रिक का हाथ पकड़ा, उसकी आँखों में जलती हुई आग फैलने लगी। उसकी त्वचा जलने लगी, लेकिन उसके भीतर एक अजीब शक्ति जागृत हो गई थी। वह बेतहाशा हँस रहा था, लेकिन यह हँसी किसी इंसान की नहीं, बल्कि किसी दानव की लग रही थी।
मीरा और आदित्य घबराए हुए थे, लेकिन वे यह नहीं समझ पा रहे थे कि उन्हें क्या करना चाहिए। रघु का चेहरा पूरी तरह बदल चुका था। उसकी आँखों में लालिमा फैल गई, और उसकी हड्डियाँ और मांस असामान्य रूप से तंग हो गए थे।
“रघु… तुम ठीक हो?” मीरा ने कांपते हुए कहा, लेकिन उसका स्वर अब केवल एक गूंज बनकर रह गया। रघु ने धीरे-धीरे मीरा की ओर देखा, लेकिन उसकी आँखों में अब कोई पहचान नहीं थी, केवल अंधकार था।
आदित्य ने गुस्से में आकर रघु को झकझोरा, “रघु! यह क्या कर रहे हो? हमें यहाँ से बाहर निकलने दो!”
पर रघु की ज़बान अब बदल चुकी थी। वह बोला, “तुम दोनों अब बच नहीं सकते। यह श्राप अब तुम्हें भी घेरने वाला है। भैरवपुर में हर कोई मेरी तरह बनेगा।”
तांत्रिक, जो अब रघु के सामने खड़ा था, हँसते हुए बोला, “अच्छा किया रघु ने। अब वह हमारे बीच है। भैरवपुर का अगला भैरव बन चुका है। अब इस गाँव की आत्माएँ उसे ही पूजेंगी।”
मीरा डरते हुए चिल्लाई, “नहीं! हम यह नहीं होने देंगे!”
तभी मंदिर की दीवारों से एक भयंकर रुदन सुनाई देने लगा। दीवारों पर रक्त के धब्बे उभरने लगे, और फर्श पर खून से लिखे तांत्रिक मंत्र चमकने लगे। चारों ओर अजीब सी ऊर्जा महसूस होने लगी।
आदित्य ने मीरा का हाथ पकड़ा और बोला, “हमें भागना होगा, नहीं तो हम भी रघु की तरह बन जाएंगे।”
रघु अब एक अजीब सी शक्ति से भर चुका था। उसकी हड्डियाँ और मांस अब काले रंग में बदलने लगे थे। वह धीरे-धीरे तांत्रिक की तरह बड़बड़ाने लगा। “अब मेरा समय आ चुका है। मुझे मुक्त किया गया है।”
मीरा और आदित्य दौड़ने लगे, लेकिन मंदिर के हर दरवाजे और खिड़की पर एक अदृश्य दीवार सी बन गई थी, जैसे उन्हें बाहर जाने से रोकने के लिए कोई ताकत खड़ी हो।
तांत्रिक ने अपनी आँखों में खौफनाक चमक के साथ कहा, “तुम दोनों को छोड़ नहीं सकता, भैरवपुर के राज़ तुम तक पहुँचने से पहले खत्म होने चाहिए।”
फिर अचानक रघु ने अपनी दोनों बाहों को फैलाया और एक ज़ोरदार धक्का दिया। जैसे ही वह हवा में झूमते हुए दोनों हाथों से ऊर्जा छोड़ता, मंदिर की दीवारें चटकने लगीं, और बाहर अंधेरा घना हो गया।
“अब हम सभी एक ही हैं…” रघु की आवाज़ अब तांत्रिक की आवाज़ से मिल गई थी, और उसकी आँखों में खौफनाक शांति छा गई थी।
(जारी है…)