भैरवपुर – एक श्रापित गाँव (Bhairavpur – The Cursed Village) – horror Story in hindi

Horror Story in Hindi उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में बसा था एक गाँव — भैरवपुर। इतिहास में दर्ज नहीं, नक्शों में गुम। कहते हैं, वहाँ एक ऐसा श्राप है जिसे सुनकर भी रूह काँप जाती है। वहाँ कोई जाता नहीं, और जो जाता है… लौट कर नहीं आता।
भैरवपुर - एक श्रापित गाँव- Horror Story in hindi
5
(1)

🎭 भाग 9: अंधेरे का साम्राज्य

रघु अब पूरी तरह से बदल चुका था। उसकी आँखों में अब कोई इंसानियत नहीं थी। उसकी देह में तांत्रिक शक्तियाँ समाहित हो चुकी थीं। वह अब भैरवपुर का अगला भैरव बन चुका था। उसके भीतर अजीब सी ताकत और अंधकार था। उसका चेहरा एक भयंकर राक्षस की तरह लग रहा था।

मीरा और आदित्य ने डरते हुए एक दूसरे की ओर देखा। उन्हें अब यह साफ़ दिख रहा था कि वे किसी जादुई जाल में फँस चुके थे। रघु का रूपांतरण अब एक खौ़फनाक राज़ में बदल चुका था, और अब उसे रोक पाना नामुमकिन सा लग रहा था।

“हम क्या करें, आदित्य?” मीरा की आवाज़ कांप रही थी। “क्या हम अब कभी बाहर नहीं निकल सकेंगे?”

आदित्य ने गंभीर स्वर में कहा, “रघु अब भैरव बन चुका है। वह इस गाँव का शाप है। और अब हमें उसे रोकने के लिए उस शाप को तोड़ना होगा। लेकिन… कैसे?”

तभी मंदिर के अंदर से फिर एक आवाज़ गूंजने लगी, “अब तुम दोनों का समय भी आ गया है।”

वे दोनों घबराए हुए थे। लेकिन उन्होंने देखा कि रघु अब उनके पास बढ़ रहा था, उसकी आँखों में जलती हुई ललक थी। उसके हाथों में एक काले पत्थर की मूर्ति थी, जो अब उसके पास से घमंड के साथ घुम रही थी। यह वही मूर्ति थी जिसे आदित्य और मीरा ने पहले देखा था। लेकिन अब यह मूर्ति और भी अधिक डरावनी और ताकतवर दिखने लगी थी।

तांत्रिक ने कहा, “तुम दोनों अब मेरे साथ हो। इस गाँव को अब कोई नहीं बचा सकता। यह अब हमेशा के लिए भैरवपुर का राज्य होगा।”

मीरा और आदित्य डरते हुए भागने का प्रयास करने लगे, लेकिन हर कदम पर अजीब सी ठंडी हवा उनके पास आती। जैसे ही वे एक कदम आगे बढ़ते, उन्हें लगता कि कोई रुकावट उनके रास्ते में आ रही हो। यह अदृश्य दीवारें, यह डरावनी शक्ति उन्हें और अधिक फँसा रही थी।

आदित्य ने मीरा को सहारा देते हुए कहा, “हमें यहाँ से बाहर निकलने का एक रास्ता ढूँढना होगा। अगर हम अब नहीं लड़े, तो हम भी हमेशा के लिए इस श्राप का हिस्सा बन जाएंगे।”

तभी रघु ने एक और अजीब सी आवाज़ में कहा, “तुम दोनों इसे छिपा नहीं सकते। यह श्राप अब तुम्हारे साथ रहेगा।”

आदित्य और मीरा के पास समय कम था। रघु का रूप और उसकी शक्तियाँ अब और भी बढ़ चुकी थीं। मंदिर की दीवारें फिर से काँपने लगीं, और चारों ओर एक घना अंधेरा छा गया। उन्हें यह महसूस हो रहा था कि अब उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा है।

लेकिन अचानक, मीरा को एक पुराना तंत्रिका का मंत्र याद आ गया, जिसे उसने पहले सुना था। वह मंत्र था, जो श्राप को समाप्त कर सकता था। लेकिन क्या वे अब उस मंत्र को सही तरीके से बोल पाएंगे? क्या वे इसे करने से पहले रघु के खौ़फनाक रूप में पूरी तरह बदलने से पहले कुछ कर पाएंगे?

(जारी है…)

👁️ अगले भाग की झलक: क्या मीरा और आदित्य वह तंत्रिका मंत्र सही तरीके से बोल पाएंगे? और क्या वे भैरवपुर के शाप को समाप्त कर पाएंगे?

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 5 / 5. Vote count: 1

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *