ऋषिकेश के छाया घाट की रहस्यमयी रात- Real Ghost Story- based on True Incident

छाया घाट की real ghost story जानें, जहां चार दोस्तों ने अनुभव किया अतीत का खौ़फनाक रहस्य। एक खौ़फनाक कर्स और भूतिया आत्माओं के बीच फंसी ये कहानी आपको थरथर कांपने पर मजबूर कर देगी।
real ghost story in hindi
3.8
(8)

छाया घाट की रहस्यमयी रात – भाग 10 (अंतिम भाग)

घाट पर अचानक हर चीज़ ख़ामोश हो गई। नेहा, आदित्य, सिद्धार्थ, और बूढ़ी औरत सब एक दूसरे को घूर रहे थे। श्वेता की आत्मा और छाया का रक्षक दोनों एक साथ सामने थे, लेकिन अब कुछ बदल चुका था। श्वेता का चेहरा अब डर में डूबा हुआ था, जैसे वह कुछ कहना चाहती हो, लेकिन शब्द नहीं निकल रहे थे।

नेहा ने धीरे-धीरे अपनी आँखे श्वेता की आत्मा से हटाई और छाया के रक्षक की ओर देखा। छाया के रक्षक ने अपना सिर उठाया और क़रीब आने लगा। उसका चेहरा अब बिल्कुल तांत्रिक रूप में बदल चुका था, उसकी आँखें जलती हुई कोलतार जैसी लाल हो चुकी थीं। उसने अपना हाथ बढ़ाया, जैसे कुछ लाने के लिए।

नेहा ने घबराते हुए अपनी आवाज़ में कहा,
“यह सब क्यों हो रहा है? हम क्या करें? क्या हम इसे रोक सकते हैं?”

बूढ़ी औरत ने गहरी साँस ली,
“तुम्हें वही करना होगा, जो अब तक किसी ने नहीं किया। इस घाट की असली शक्ति को पहचानना होगा। यह कोई साधारण रक्षक नहीं है, यह एक शापित आत्मा का परिणाम है, जो इंसानी आकार में बंधी हुई है।”

आदित्य ने एक और कदम पीछे बढ़ाया और सिद्धार्थ से कहा,
“हमने जो गंगाजल छिड़का था, क्या वह पर्याप्त था?”

“नहीं,” बूढ़ी औरत ने कहा, “गंगाजल सिर्फ एक प्रतीक था। असली शक्ति हमें अपनी इच्छाशक्ति से मिलानी होगी। हमें इस घाट के शाप को तोड़ने के लिए सही समय का इंतजार करना होगा, और वह समय अब आ गया है।”

आदित्य ने गहरी साँस ली और बिना किसी डर के घाट की पुरानी मूर्ति की ओर बढ़ा। उसने हिम्मत जुटाते हुए वह तंत्र-मंत्र का उच्चारण करना शुरू किया, जो उसे पुस्तक से मिला था। वह शब्द धीरे-धीरे उसकी जुबान से बाहर निकलने लगे, और घाट के चारों ओर एक अनोखी ऊर्जा फैलने लगी।

चमकते हुए शब्द वातावरण में गूंजने लगे। श्वेता की आत्मा ने एक अंतिम चीख़ मारी, जैसे किसी घने अंधकार से उभरने की कोशिश कर रही हो, लेकिन तभी छाया रक्षक ने अपने आप को पूरी तरह से ताकतवर बना लिया और सब कुछ लीलने की कोशिश की।

लेकिन अब, आदित्य के मंत्र और नेहा की विश्वास से भरी आँखों ने घाट पर एक और शक्ति को जगाया। एक तेज़ रोशनी ने घाट को घेर लिया और फिर अचानक चुप्प हो गई।

“यह खत्म हो चुका है,” बूढ़ी औरत ने कहा। श्वेता की आत्मा अब शांत हो चुकी थी, उसकी आँखों में राहत थी, और छाया रक्षक अब मिट चुका था। घाट अब शांत था, जैसा पहले कभी नहीं था।

“हमने इसे किया,” सिद्धार्थ ने राहत की साँस ली।
“लेकिन यह शाप… क्या पूरी तरह से खत्म हो गया?”

बूढ़ी औरत ने धीरे से सिर हिलाया,
“शाप तो खत्म हो गया है, लेकिन याद रखना, हर जगह शांति नहीं रहती। हर घाट का रहस्य अपना इतिहास छोड़ता है।”

आदित्य, नेहा, सिद्धार्थ, और बूढ़ी औरत घाट से बाहर निकलते हुए पीछे मुड़कर नहीं देखा। झील अब शांत थी, लेकिन घाट की हवा में एक नई तरह की शांति थी, जो शायद अब तक कभी महसूस नहीं की गई थी।

और, इस घटना के बाद, उस रात के बाद से, घाट के पास कोई कभी नहीं आया। “ऋषिकेश के छाया घाट की रहस्यमयी रात” अब सिर्फ एक याद बन गई, जो न जाने कितनी पीढ़ियों तक लोगों की जुबां पर रहेगी।

(समाप्त)

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 3.8 / 5. Vote count: 8

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *