ऋषिकेश के छाया घाट की रहस्यमयी रात- Real Ghost Story- based on True Incident

छाया घाट की real ghost story जानें, जहां चार दोस्तों ने अनुभव किया अतीत का खौ़फनाक रहस्य। एक खौ़फनाक कर्स और भूतिया आत्माओं के बीच फंसी ये कहानी आपको थरथर कांपने पर मजबूर कर देगी।
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छाया घाट की रहस्यमयी रात – भाग 3

नेहा अभी भी बेहोश पड़ी थी। उसकी सांसें चल रही थीं, लेकिन चेहरा पूरी तरह पीला हो चुका था। चारों ओर अजीब-सी ठंड फैल गई थी — जैसे किसी अदृश्य ताकत ने पूरी जगह को जकड़ लिया हो।

सिद्धार्थ ने कांपती आवाज़ में कहा,
“हमें अब और नहीं रुकना चाहिए… जो भी ये है, बहुत शक्तिशाली है…”

आदित्य ने नेहा को उठाया, लेकिन तभी घाट की सीढ़ियों से एक अजीब आवाज़ आई —
टप… टप… टप…

जैसे कोई भारी चीज़ नंगे पाँव उतर रही हो।

श्वेता ने डरते-डरते पलटकर देखा — सीढ़ियों पर एक बूढ़ा आदमी खड़ा था। झुकी कमर, लाल जलती आंखें, और हाथ में एक टूटी हुई लाठी।

उसने धीमी आवाज़ में कहा,
“तुम लोग वही हो ना… जिनके कदमों से ये घाट फिर से जागा है?”

सिद्धार्थ ने हिम्मत करके पूछा,
“आप कौन हैं? और ये सब क्या हो रहा है?”

बूढ़ा आदमी थोड़ा आगे आया और बोला,
“छाया घाट को किसी ने नहीं छोड़ा… यहाँ जो भी आया, वापस नहीं गया। ये घाट उस ‘छाया’ का वासस्थान है… जिसे सौ साल पहले ज़िंदा जला दिया गया था। अब उसकी आत्मा यहाँ हर पूर्णिमा की रात को जागती है… और जो भी इस घाट पर आता है, वो उसकी अगली ‘छाया’ बन जाता है…”

श्वेता डर के मारे ज़मीन पर बैठ गई।
“मतलब… नेहा के साथ जो हुआ… वो…?”

“हाँ,” बूढ़ा बोला,
“उसमें अब ‘छाया’ प्रवेश कर चुकी है। अगर सूरज उगने से पहले उसे घाट से बाहर नहीं ले जाया गया, तो वो हमेशा के लिए उसी की हो जाएगी।”

अब घड़ी की सुई तेज़ी से चल रही थी।
3:15 AM हो चुके थे।

“तुम्हारे पास अब बस दो घंटे हैं,” बूढ़ा धीरे-धीरे पीछे मुड़ा और घुलता हुआ अंधेरे में गायब हो गया…

चारों दोस्त सन्न रह गए।

नेहा अब धीरे-धीरे आंखें खोल रही थी… लेकिन उसकी आंखें अब लाल थीं।

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