ऋषिकेश के छाया घाट की रहस्यमयी रात- Real Ghost Story- based on True Incident

छाया घाट की real ghost story जानें, जहां चार दोस्तों ने अनुभव किया अतीत का खौ़फनाक रहस्य। एक खौ़फनाक कर्स और भूतिया आत्माओं के बीच फंसी ये कहानी आपको थरथर कांपने पर मजबूर कर देगी।
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छाया घाट की रहस्यमयी रात – भाग 7

सिद्धार्थ के चेहरे पर एक अजीब सा सन्नाटा छा गया था। नेहा की बात सुनकर सभी की रूह काँप गई —
“उसने तुम्हें चुना है…”

श्वेता धीरे-धीरे पीछे हटने लगी, जैसे उसे यक़ीन नहीं हो रहा हो कि अब खतरा उनके सबसे समझदार दोस्त के भीतर है।

आदित्य चिल्लाया,
“सिद्धार्थ! कुछ बोलो! क्या तुम ठीक हो?”

सिद्धार्थ ने गर्दन घुमाई और उसकी आँखों में काली चमक झलकने लगी। उसकी आवाज़ भारी और बेगानी लग रही थी —
“अब बहुत देर हो चुकी है… मैं सिर्फ़ सिद्धार्थ नहीं हूँ…”

नेहा और श्वेता चीख पड़ीं।

सिद्धार्थ अचानक ज़मीन पर गिर पड़ा और उसका शरीर अकड़ने लगा, जैसे कोई भीतर से लड़ाई कर रहा हो।

बूढ़ी औरत, जो अब भी वहीं खड़ी थी, बोली —
“वो अंदर जा चुकी है, लेकिन उसे पूरा अधिकार चाहिए — मन, शरीर और आत्मा…”

आदित्य ने काँपते हुए पूछा,
“तो अब क्या करें…? उसे कैसे रोकें?”

बूढ़ी औरत ने अपनी कमर से एक लाल धागों और काले मोतियों का बना हुआ ताबीज़ निकाला —
“यह ‘कपाल रक्षा’ है। इसे सिद्धार्थ के गले में बाँध दो, लेकिन ध्यान रहे — अगर आत्मा ने पूरी तरह अधिकार पा लिया, तो फिर कोई ताबीज़ काम नहीं करेगा…”

श्वेता ने हिम्मत जुटाकर ताबीज़ लिया और सिद्धार्थ के पास गई। लेकिन जैसे ही उसने ताबीज़ उसके गले में डालने की कोशिश की, सिद्धार्थ की आँखें पूरी तरह काली हो गईं और उसने श्वेता की कलाई कसकर पकड़ ली।

“मैं अब मुक्त नहीं होऊँगी…” एक डरावनी आवाज़ उसके मुँह से निकली।

सभी ठिठक गए।

क्या ताबीज़ समय पर काम करेगा?
या फिर छाया घाट की आत्मा अब पूरी तरह सिद्धार्थ के भीतर समा चुकी है…?

(जारी…) Next Page 8 Par

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