Erotic Horror Story in Hindi | राजस्थान की जलती रेत के बीच एक ऐसा गाँव था, जिसे अब मानचित्रों में ढूंढना भी मुश्किल है — मोरवाड़ा। वहां की हवाओं में सिर्फ़ धूल नहीं, सदियों पुरानी कहानियाँ भी तैरती हैं। और उन्हीं कहानियों में सबसे भयावह थी — राती हवेली की।
कहते हैं, नवाब आसिफ अली ने 1800 के दशक में इसे अपनी प्रेमिका के लिए बनवाया था — ज़हीरा, एक अभूतपूर्व रूपवती तवायफ। उसकी काया रेशम सी मुलायम थी, चाल मदहोश कर देने वाली और आँखें… जैसे किसी गहरी रात की झील हों। वो नवाब की रखैल बनी, लेकिन उसे प्रेम नहीं — सिर्फ़ अधिकार चाहिए था। जब ज़हीरा ने नवाब से अलग होने की कोशिश की, उसने उसे हवेली के कमरा नंबर 6 में कैद कर लिया। और एक रात, जब वो नग्न अवस्था में बिस्तर पर बेसुध पड़ी थी, नवाब ने अपनी पगड़ी से उसका गला घोंट दिया।
लेकिन ज़हीरा मरी नहीं… उसकी आत्मा उसी बिस्तर में समा गई।
कहते हैं, वो अब भी उस कमरे में हर उस पुरुष का इंतज़ार करती है… जो उसका नाम लिए बगैर हवेली में कदम रखता है।
आरव को ये सब कहानियाँ लगती थीं — हवस में लिपटी लोककथाएं। लेकिन वो जब उस हवेली के दरवाज़े के पास पहुंचा, तो हवा ने पहली बार उसके शरीर में कुछ अजीब घुसाया… जैसे किसी ने उसकी नसों में उंगली फेर दी हो।
कमरा नंबर 6 तक पहुंचते ही उसने महसूस किया कि जैसे कोई आँखें उसे भीतर तक उतार रही हों। कमरा पूरी हवेली से अलग था — वहां की दीवारें गर्म थीं, बिस्तर पर लाल साटन की चादरें थीं और हवा में वही गंध — भीगी देह, गुलाब और अधूरी तृप्ति की मिली-जुली सोंधी खामोशी।
उसने बिस्तर पर लेटते ही महसूस किया — जैसे उसकी त्वचा पर कोई अदृश्य उंगलियाँ फिर रही हों। कुछ देर में उसकी आँख लग गई।
रात के तीन बजे कुछ चूड़ियों की आवाज़ से उसकी नींद खुली। सामने वो खड़ी थी — ज़हीरा।
घाघरा उसके शरीर से जैसे चिपक गया था, और उसका ब्लाउज़ इतना पतला था कि उसके उभार चाँदनी में चमक रहे थे। उसकी नाभि के नीचे का हिस्सा धीरे-धीरे हिल रहा था — सांसों के साथ, आमंत्रण की तरह।
“तुम आ गए…” वो फुसफुसाई, उसकी आवाज़ में एक कंपन था — वो कंपन जो आदमी की रीढ़ में कामुक सिहरन पैदा कर दे।
वो बिस्तर पर चढ़ी, उसके ऊपर झुकी और उसकी टी-शर्ट की कॉलर को धीरे-धीरे खींचते हुए गालों पर अपनी उंगलियाँ फिराने लगी। उसकी उंगलियों में बर्फ की तरह ठंडक और आग की तरह जलन थी — एक अजीब विरोधाभास।
उसने धीरे से आरव के कान के पीछे चूमा। वो चुम्बन नहीं था — वो एक वादा था, एक चेतावनी थी। फिर वो उसके सीने पर बैठ गई, दोनों हाथों से आरव की कलाई पकड़ी और अपनी कमर घुमाते हुए बिस्तर पर खुद को झुकाने लगी।
आरव उसकी आँखों में डूब चुका था। उसके होंठ मीठे थे, लेकिन जब ज़हीरा ने उसकी छाती पर अपने नाखून खींचे — चार पतली लाल लकीरें उभर आईं, जैसे उसने कोई निशान छोड़ा हो।
“मुझे रोकना मत… वरना अधूरा छोड़ दूंगी,” उसने सांसों में कहा।
उसने आरव का बटन एक-एक करके खोला, अपने होंठ उसके नाभि तक ले गई, और हर जगह उसने अपनी जिह्वा से उसे सज़ा दी — कामुकता की। उसके हाथों की पकड़ सख्त होती जा रही थी, और आरव की साँसें तेज़।
ज़हीरा की देह अब बिल्कुल नंगी थी — उसकी जाँघें चिकनी थीं, और वो अपनी काया को बिस्तर पर इस तरह लहराती थी जैसे पानी पर नग्न कमल तैर रहा हो।
जब उन्होंने मिलन किया, तो वो केवल शारीरिक नहीं था — उसकी हर हरकत आरव की आत्मा में उतर रही थी। ज़हीरा के अंदर घुसते ही आरव को लगा जैसे वो किसी गर्म कुएं में गिर गया हो, और वहाँ से कभी बाहर नहीं आ पाएगा।
उसकी रफ्तार धीमी थी, लेकिन हर हिलन में कुछ चुभता था। जैसे वो सिर्फ़ प्रेम नहीं कर रही थी, कुछ खींच रही थी। उसकी आँखें अब गहरी काली थीं, और होंठों पर खून सा लिसलिसा कुछ लग गया था।
आरव ने आंखें बंद कीं, और तभी ज़हीरा की चीख सुनाई दी — सुख की नहीं… भूख की।
“हर बार… मैं तुम्हारा एक और हिस्सा लेती हूँ,” वो बोली।
सुबह जब आरव उठा, वो पूरी तरह नंगा था। उसके शरीर पर नीले निशान थे, होंठ सूजे हुए और आँखों के नीचे कालापन।
कमरा अब वीरान था।
शीशे पर सिर्फ़ एक लकीर थी — नाखून से खींची गई, और उस पर लिखा था:
“अभी सिर्फ़ शुरुआत है…”….. Aage ki kahani Page 2 Par