🔥 कामिनी का मोह, और श्राप का पहला संकेत
अमित ने बेहिचक पूछा,
“एक रात का कितना लोगी?”
कामिनी ने नज़दीक आकर, बदन झुका कर फुसफुसाया,
“मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे मार दो…”
अमित एक पल को सन्न रह गया। माथे से पसीना टपकने लगा। लेकिन अगले ही पल कामिनी ज़ोर से हँस पड़ी।
“तुम तो मज़ाक भी नहीं समझते… डरपोक हो।”
अब अमित को गुस्सा आ गया।
“ठीक है, ज्यादा ड्रामा मत करो। अगर करना है तो यहीं करो। और मूर्ति के सामने क्यों?”
कामिनी ने गंभीरता से कहा,
“मैं इस पेड़ को नहीं छोड़ सकती। अगर कुछ करना है, तो यही होगा — इस ऋषि की मूर्ति के सामने।”
फिर वो धीरे-धीरे चलती हुई पेड़ की ओर बढ़ने लगी। जैसे-जैसे वो आगे बढ़ रही थी, अपनी साड़ी के टुकड़े उतारती जा रही थी।
अमित, वासना में डूबा हुआ, उसके पीछे-पीछे चल पड़ा।
😱 जब पेड़ जागा… और आत्माओं ने पुकारा
जैसे ही दोनों एक-दूसरे की बाँहों में समा रहे थे, अचानक चारों दिशाओं से लड़कियों की हँसी गूंजने लगी:
“आओ अमित… हमें भी तृप्त करो…”
“मैं भी प्यासी हूँ… मेरे अंदर भी समा जाओ…”
अमित ने ऊपर देखा — पीपल की शाखाओं से उल्टी लटकी हुई कई लड़कियाँ उसे घूर रही थीं। उनकी आँखें चमक रही थीं, जैसे कोई राक्षसी ताकत हो।
कामिनी के मुँह से खून टपक रहा था।
“तुम्हें क्या हो गया?” अमित चिल्लाया।
लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
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