कमरा नंबर 509 – एक मुंबई की सच्ची डरावनी कहानी- REal Horror Story in Hindi

क्या आपने कभी किसी ऐसे कमरे में रात बिताई है जहां से कोई लौटकर नहीं आया? यह कहानी मुंबई की है, लेकिन डर ऐसा कि आपके शहर की लगेगी। ‘कमरा नंबर 509’ सिर्फ एक फ्लैट नहीं, एक रुकी हुई आत्मा की कैद है।
horror story in hindi
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🎥 बालकनी से आती परछाई

उसी रात, करीब 3:15 बजे, बालकनी की खिड़की पर किसी के पैरों की परछाई दिखाई दी — जैसे कोई बाहर खड़ा हो।

पाँचवीं मंज़िल पर।

बालकनी में बाहर कोई भी खड़ा नहीं हो सकता था, क्योंकि नीचे कोई स्लैब नहीं था।

आशीष ने डरते हुए पर्दा हटाया…

कोई नहीं था।


अब आशीष का मन असहज रहने लगा था।
उसने एक दिन बिल्डिंग के गार्ड सलीम चाचा से पूछा:

“यहाँ कुछ हुआ है क्या पहले?”

सलीम चुप हो गए।

फिर बोले:

“साहब, पाँचवी मंज़िल पे पहले एक ऑफिस था… एक प्रोडक्शन हाउस। 2015 में एक लड़की, रिया नाम की… उसने यहीं पर आत्महत्या कर ली थी। 509 में ही।”

“कहा जाता है… वो प्रेग्नेंट थी, और उसका प्रेमी उसे छोड़ गया था। शूटिंग के बहाने उसे यहाँ बुलाया गया, और फिर वो वापस नहीं गई। अगले दिन उसका शव बालकनी में लटका मिला था…”

“उसके हाथ में लिखा था — ‘मैं अभी भी इंतज़ार कर रही हूँ’…”


👁️‍🗨️ डर की शुरुआत

उस रात से, आशीष को नींद में झटके लगने लगे।
कभी लगता, कोई पास आकर बैठा है।
कभी नींद से उठता तो देखता — खिड़की पूरी खुली है, जबकि वो बंद करके सोया था।

एक दिन जब वो सुबह उठकर बालकनी में गया —
फर्श पर किसी के खून के निशान थे, जो सिर्फ 509 के बाहर तक ही थे… न आगे, न पीछे।


एक और रात, करीब 1:40 बजे, आशीष का फोन बजा।
अननोन नंबर।

उठाया।

“क्या तुम भी मुझे छोड़ दोगे?” — धीमी, कांपती औरत की आवाज़।

आशीष ने कहा — “कौन?”

“तुमने तो कहा था कि तुम मुझसे प्यार करते हो…”

कॉल कट गया।

कॉल लॉग में कोई नंबर दर्ज नहीं था।


एक रात, जब तेज बारिश हो रही थी, आशीष को कमरे की एक दीवार पर पानी की बूंदें गिरती महसूस हुईं।
पास जाकर देखा — वो पानी नहीं, खून था।

दीवार से रिसता हुआ, ठंडा, गाढ़ा खून।

वो तुरंत मोबाइल से वीडियो रिकॉर्ड करने लगा।

अगले दिन, जब वीडियो चेक किया — कोई खून नहीं था, बस सूखी दीवार।


दो हफ्ते बाद, उसने उस पुरानी अलमारी को खोला।
भीतर से एक पुरानी डायरी मिली — स्याही मिट चुकी थी, लेकिन कुछ शब्द साफ थे:

“मैं हर रात उस खिड़की से देखती हूं… क्या वो लौटेगा?”
“मेरे बच्चे का गुनहगार कौन है?”
“अगर मैं भटकती रहूं… क्या कोई मेरी कहानी लिखेगा?”

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