👻 अंतिम रात — और उसका रहस्य
मार्च की शुरुआत में, आशीष ने उस फ्लैट को खाली करने का फैसला कर लिया।
अंतिम रात, वह जैसे-तैसे पैकिंग कर रहा था।
तभी…
बालकनी की खिड़की अपने आप खुली।
तेज़ हवा अंदर आई।
कमरे की लाइट झपकने लगी।
और फिर…
रिया सामने खड़ी थी।
लंबे बाल, सफेद गाउन, फटी आंखें… और पेट पर हाथ।
“तुम आओगे ना… वापस?”
अगली सुबह…
कमरा 509 खाली था।
दरवाजा खुला… बैग वहीं पड़ा… आशीष का मोबाइल, लैपटॉप, सब वहीं।
लेकिन आशीष… कहीं नहीं मिला।
🪞 अब जो कहते हैं…
- कोई भी अब पाँचवी मंज़िल किराए पर नहीं लेता।
- रात में 3 बजे उस फ्लोर पर अब भी खिड़की खुद-ब-खुद खुलती है।
- और कई बार, फोन की घंटी बजती है, और कोई कहता है:
“क्या तुम भी मुझे छोड़ दोगे?”
🔚 अंत… या फिर एक और शुरुआत?
“जो कहानी तू अभी पढ़ रहा है… वो आशीष ने कभी नहीं लिखी।
लेकिन उसके लैपटॉप में सेव थी… एक फ़ोल्डर में, जिसका नाम था — ‘मैं अभी भी इंतज़ार कर रही हूँ’…”
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अगर आपने ये कहानी पढ़ी और आपको यह डरावनी, रियलिस्टिक और असरदार लगी —
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- क्या आप कभी ऐसे कमरे में रात बिता सकते हैं?