🌳 पूर्णिमा की रात और झरने की तलाश
मैं तैयार था।
पूर्णिमा की रात
मैं जंगल में उस झरने को ढूंढ रहा था, जिसका नाम तक कोई नहीं जानता।
बहुत दूर जाने पर…
जैसे किसी अदृश्य रास्ते से, पानी के गिरने की आवाज़ सुनाई दी।
मैंने बाइक छोड़ी और पैरों में कांटे चुभते हुए झाड़ियों में घुसा।
और वहां था — वो झरना।
एक क्षण को मेरी साँस रुक गई।
👁🗨 पहली मुलाकात — जब यक्षिणी आई
सब कुछ शांत था।
तभी मुझे सुनाई दी — पायल की आवाज़।
धुँध के बीच, चाँद की चांदनी में, एक औरत झरने की ओर चली आ रही थी।
सफेद साड़ी में लिपटा दूध जैसा शरीर… लाल होंठ… लंबे गीले बाल…
उसने झरने के नीचे कपड़े उतार दिए।
और निर्वस्त्र होकर पानी के नीचे खड़ी हो गई।
चाँद की रोशनी उसके गीले शरीर से टकरा रही थी…
उसका शरीर काँप रहा था — शायद ठंड से, या शायद कामना से।
❤️ कामुकता और पहली रात
मैं झाड़ियों में छुपा रहा।
लेकिन मेरी साँसें तेज़ होने लगीं। मेरी देह में लहरें उठने लगीं।
वो चट्टान पर बैठी, अपने बाल धो रही थी… और तभी उसने मेरी ओर देखा।
उसकी आँखें नशीली थीं — मानो मुझे बुला रही थीं।
मैं धीरे-धीरे बाहर आया, कांपते हाथों से उसे देखा, और कहा:
“हे देवी… मेरी इच्छा पूरी करो… मुझे तुम्हारा प्रेम चाहिए।”
वो मुस्कुराई। उसकी मुस्कान में शहद था… और ज़हर भी।
“मैं तुम्हें सब दूंगी… लेकिन बदले में… मेरे शरीर की प्यास बुझानी होगी।”
मैंने सिर हिलाया।
वो आगे बढ़ी, और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
उसके होठों की गर्मी… उसकी जांघों की लचक… उसकी साँसों की सरसराहट…
मैंने पहली बार एक स्त्री को छुआ —
और वो छुअन ऐसी थी, मानो ज़िंदगी की सारी इच्छाएँ पूरी हो गई हों।
⏳ आगे क्या हुआ?
उस रात के बाद मैं जवान हो गया।
मेरे चेहरे की झुर्रियाँ गायब थीं।
शरीर में ऊर्जा थी, आँखों में चमक।
लेकिन मैंने जो किया था… उसकी कीमत मुझे बहुत जल्द चुकानी थी…
(📌 आगे की कहानी — Aagle page में विस्तार से)