Nana ne Bhoot se karwaya khet me kaam | Real Horror story in hindi

यह है फिरोजाबाद के एक ग्रामीण इलाके की सच्ची भूतिया कहानी, जहाँ मेरे नाना का सामना एक रहस्यमयी छलावे से हुआ। लोहे के फावड़े ने कैसे उनकी जान बचाई और कैसे वह छलावा हवा में विलीन हो गया, पढ़ें यह रोंगटे खड़े कर देने वाला Real Horror Story in Hindi अनुभव।
Real Horror Story in Hindi
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यह एक वास्तविक घटना है, आज से लगभग तीस-चालीस साल पहले की, जब मेरे नाना युवावस्था में थे। यह उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के शांत, हरे-भरे गाँव खैरगढ़ की खौफनाक कहानी है। उस समय, गाँवों में जीवन पूरी तरह प्रकृति और खेती-बाड़ी से जुड़ा हुआ था। लोग मुख्य रूप से खेतों से ही अपनी जीविका चलाते थे, और यह डरावनी कहानी उसी दौर की है, जब नाना के खेत में जुताई का समय आ गया था।

नाना का खेत गाँव से कुछ दूरी पर था, और जुताई के लिए उन्हें अतिरिक्त मजदूरों की आवश्यकता थी। खैरगढ़ के पास बरौली नाम का एक छोटा सा गाँव था, जहाँ से लोग अक्सर मजदूरी के लिए आते थे। नाना उसी बरौली गाँव में एक भरोसेमंद व्यक्ति से मिलने गए, ताकि अगले दिन सुबह खेत जोतने के लिए मदद मिल सके। उस शाम हवा में एक अजीब सी खामोशी थी, सूरज ढल रहा था और पेड़ों की सरसराहट कुछ अनकही भूतिया कहानियाँ बयाँ कर रही थी।

कहते हैं, जब नाना उस व्यक्ति से बात कर रहे थे, तो किसी रहस्यमयी छलावे ने – जिसे हम अपनी भाषा में ‘भूत’ या ‘नकारात्मक शक्ति’ कहते हैं – उनकी बातचीत सुन ली थी। उस अदृश्य शक्ति ने सुन लिया था कि नाना ने अगले दिन सुबह ठीक 5 बजे अपने खेत जोतने के लिए एक आदमी को बुलाया है। नाना अपनी बातचीत समाप्त करके घर लौट आए, अपने परिवार को बताया कि कल उन्हें जल्दी खेत पर जाना होगा, फिर खाना खाकर आराम से सो गए। उस रात, गाँव में अचानक एक अजीब सी शांति पसर गई थी, जैसी अमावस्या की रात में होती है – एक ऐसी शांति जो अक्सर रियल हॉरर स्टोरीज़ का prelude होती है।

गाँव में कुछ पुरानी भूतिया कहानियाँ प्रचलित थीं। लोग पीपल के पेड़ों के पास रात को जाने से कतराते थे, और फुसफुसाहट में कहते थे कि अमुक व्यक्ति ने उस दिन छलावे को देखा या उसका रास्ता किसी अदृश्य साये ने काटा। ये बातें आम थीं, लेकिन नाना हमेशा इन सब से परे रहे थे। मेरी माँ बताती हैं कि नाना बहुत मजबूत इरादों वाले व्यक्ति थे। उनका आसपास के क्षेत्र में रुतबा था, उनकी बातों का वजन था, और गाँव में उनका एक अलग ही दबदबा था। किसी ने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसी कोई अनहोनी उनके साथ भी हो सकती है। यह घटना सचमुच एक real horror story in hindi बन गई।

Real Horror Story in Hindi

रात को सब सो गए। लगभग 3:30 बजे, जब रात अभी भी अपने शबाब पर थी और तारे टिमटिमा रहे थे, नाना की चारपाई के पास आकर एक आकृति ने उन्हें जगाया। वह बिल्कुल उसी व्यक्ति की शक्ल में था जिससे नाना दिन में मिलकर आए थे। “पंडित जी, जागो! आपने बुलाया था और अब तक सो रहे हो? खेत जोतना है, चलो जल्दी, मुझे कहीं और भी जाना है,” उस आकृति ने कहा। नाना पहले तो चौंके। उन्हें लगा कि इतनी जल्दी कैसे आ गए, अभी तो थोड़ी देर पहले ही सोए थे। लेकिन उस समय घड़ियाँ हर घर में नहीं होती थीं, और सुबह होने के संकेत ही समय का अनुमान लगाने का एकमात्र तरीका था। सूरज अभी उगा नहीं था, लेकिन उस आकृति ने कहा, “पंडित जी, 4:30-5 बजने वाले हैं, चलो चलते हैं।” नाना ने सोचा, ठीक है, कौन बेवजह घड़ी देखे।

नाना उठ खड़े हुए। उस समय, अनजाने में ही सही, उन्होंने एक ऐसा काम किया जिसने उनकी जान बचा ली। उन्होंने अपने लोहे के फावड़े को अपने हाथ में लिया, जबकि उस अजीब व्यक्ति को लकड़ी के छोटे-मोटी औजार जैसे खुरपी और खेत जोतने वाले अन्य उपकरण थमा दिए। यह लोहे का फावड़ा एक सुरक्षा कवच बनने वाला था, जिसकी अहमियत नाना को बाद में समझ आई। लोहे का अस्तित्व, paranormal activity के खिलाफ अक्सर एक ढाल माना जाता है।

वे दोनों खेत की ओर चल पड़े। रात की ठंडक अब भी हवा में घुली हुई थी, और रास्ता एकदम शांत था। नाना को अपने साथी से कुछ अजीब सी ऊर्जा महसूस हो रही थी, लेकिन उन्होंने इसे थकान या नींद का असर मानकर टाल दिया। खेत पर पहुँचकर, नाना ने उसे बताया कि आज कितना खेत जोतना है। उस व्यक्ति ने कहा, “ठीक है पंडित जी, आप रुकिए, मैं शुरू करता हूँ।” नाना ने उसे काम करते हुए देखा। आमतौर पर, दो-तीन बीघा खेत जोतने में एक आदमी को कम से कम ढाई-तीन घंटे लग जाते हैं, और फिर भी उतनी सफाई नहीं आती। लेकिन उस व्यक्ति ने जो किया, वह अविश्वसनीय और भयानक था।

केवल 15-20 मिनट के भीतर, वह व्यक्ति वापस आकर खड़ा हो गया और बोला, “पंडित जी, मैंने खेत जोत दिया।” नाना ने खेत की तरफ देखा तो उनके होश उड़ गए। खेत को इतनी सफाई और फिनिशिंग के साथ जोता गया था, जैसे किसी मशीन ने काम किया हो। खेत की मिट्टी एकसार हो गई थी, हर जगह बराबर जुताई थी। नाना को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। “यार, ये तो कुछ गड़बड़ है,” नाना ने मन ही मन सोचा। उन्होंने सोचा कि शायद ये कोई बहुत ही दमदार और दूध-घी पीने वाला जवान है, जिसने इतना काम इतनी फुर्ती से कर दिया। उस व्यक्ति से उन्होंने पूछा, “अरे, इतनी जल्दी कैसे कर दिया तूने?” उसने जवाब दिया, “पंडित जी, आपको पता नहीं चला, 40-50 मिनट हो गए हैं, और देखिए सूरज भी उगने वाला है।” यह डरावनी घटना उनके दिमाग में घर कर गई।

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थोड़ी देर बाद, जब उन्होंने खेत में बीज वगैरह डाल दिए, तो वह व्यक्ति बार-बार नाना को पास की पोखरी (तालाब) में ले जाने की जिद करने लगा। गाँव में सुबह के समय तालाब पर शौच के लिए जाना आम बात थी, लेकिन उस व्यक्ति की जिद में कुछ अजीब सा दबाव था। “पंडित जी, वहाँ चल रहे हैं। सुबह का समय है, आप भी शौच कर लेना और मैं भी कर लूंगा। काम करके फिर चलते हैं, बीड़ी-बीडी पिएंगे, खाना-पीना करेंगे,” उसने कहा। नाना को उसकी बातों में कुछ अटपटा लगा। उन्हें लगा, यह व्यक्ति इतनी जल्दी क्यों कर रहा है?

नाना के दिमाग में पुरानी भूतिया कहानियाँ कौंधने लगीं। पिछले महीने ही किसी ने बताया था कि फलाने गाँव में तालाब के पास किसी को उल्टा गाड़ दिया गया था। उन्हें लगा, “यह साला मुझे भी वहीं क्यों ले जा रहा है? कुछ तो गड़बड़ है।” उनका शक अब यकीन में बदलने लगा। यह एक सच्ची भूत की कहानी का हिस्सा बन रही थी।

“पंडित जी, फावड़ा मुझे दे दो, तुम कर लो पहले। मैं तुम्हें देख लूँ, फिर मैं सामान रख लूँगा, फिर तुम कर लेना,” उस व्यक्ति ने कहा। नाना को एकदम झटका लगा। “यार, ये सीधा मेरे हाथ से लोहे का फावड़ा क्यों माँग रहा है?” उन्होंने तुरंत सोचा। लोहे के बारे में तो गाँव में कई बातें प्रचलित थीं, कि यह बुरी शक्तियों को दूर रखता है और अदृश्य शक्तियों को पास नहीं आने देता।

नाना ने उसे फावड़ा देने से इनकार कर दिया और कहा, “ना भाई, मैं तुझे यह नहीं दे रहा। तू कर ले पहले।” इसी बीच, नाना ने अपनी जेब से बीड़ी निकाली और उसे सुलगा लिया। बीड़ी पीने लगे। फिर जानबूझकर उस व्यक्ति से बोले, “ले भाई, तू भी पी ले।” जैसे ही नाना ने उसे बीड़ी का ऑफर किया, वह व्यक्ति तुरंत पीछे हटने लगा। “नाना, बीड़ी मैं नहीं पी रहा,” उसने कहा।

नाना का शक अब पुख्ता यकीन में बदल गया। उन्हें अच्छी तरह पता था कि आग और लोहा बुरी शक्तियों से दूर रहते हैं। “कुछ तो खेल चल रहा है भाई, अपना खेल बच सकता है,” उन्होंने सोचा। उन्होंने उसे फावड़ा नहीं दिया। वे दोनों किसी तरह तालाब के पास पहुँचे। वह व्यक्ति बार-बार फावड़े के लिए जिद करने लगा, और धीरे-धीरे उसकी बातों में बहस और फिर आक्रामकता आ गई। वह फावड़े को छूने की कोशिश करने लगा, उसकी आँखें लाल होती जा रही थीं और उसकी आवाज में एक अजीब सी खड़खड़ाहट आ गई थी। यह supernatural encounter नाना के लिए जीवन का सबसे बड़ा डर साबित हो रहा था।

नाना उसे गौर से देखने लगे। उसकी आँखें अब पहले से ज़्यादा चमकदार लग रही थीं, और उसका चेहरा विकृत हो रहा था, जैसे कोई नकाब उतर रहा हो। उसकी आकृति धुंधली होती जा रही थी, एक पल वह स्पष्ट दिखता, अगले ही पल हवा में घुलने लगता। नाना समझ चुके थे कि यह वह आदमी नहीं है जिसे उन्होंने बुलाया था। यह कोई शक्ति है, कोई नकारात्मक ऊर्जा, कोई छलावा है, एक असल भूत!

नाना ने गहरी साँस ली, “जो होगा, देखा जाएगा!” उन्होंने अपना लोहे का फावड़ा उठाया और बिना एक पल भी सोचे, सीधे उसके सिर पर पूरी ताकत से दे मारा! “भट!” की आवाज़ आई, और फावड़ा उस आकृति के आर-पार निकल गया, जैसे वह हवा का एक झोंका हो। वह व्यक्ति वहीं, नाना की आँखों के सामने, हवा में विलीन हो गया! वहाँ कुछ भी नहीं बचा, सिवाय एक गहरी, खौफनाक चुप्पी के। यह उनकी real horror story in hindi थी।

नाना के पसीने छूट गए। उनके कपड़े पसीने से भीग गए थे, और उनकी लुंगी टाइट हो गई थी। उनका दिल पागलों की तरह धड़क रहा था। उन्हें समझ नहीं आया कि क्या करें। वह डरे हुए थे, लेकिन उनकी हिम्मत ने उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया। खेत से उनका घर लगभग 600-700 मीटर दूर था। वह बिना रुके, “मामा! मामा!” चिल्लाते हुए पूरी ताकत से घर की ओर भागे। उनकी आवाज सुनकर आसपास के लोग और घरवाले जागने लगे। “पंडित जी, क्या हुआ?” सब पूछने लगे। यह फिरोजाबाद की डरावनी कहानी अब सबके सामने आ रही थी।

नाना ने किसी की बात नहीं सुनी। वह सीधे घर के घेर में पहुँचे, जहाँ लकड़ियों का एक बड़ा बंडल और मिट्टी का ढेर था। उन्होंने तुरंत आग लगा दी, ताकि रोशनी हो और आसपास का नकारात्मक माहौल दूर हो। उन्होंने सबको जगाया और हाँफते हुए बताया कि उनके साथ क्या हुआ था। सब सुनकर दंग रह गए।

और तभी, ठीक 5 बजे, जिस असली आदमी को नाना ने खेत पर बुलाया था, वह वहाँ आ पहुँचा। “चलो पंडित जी, खेत जोतना है। क्या कर रहे हो, यहाँ आग ताप रहे हो?” उसने पूछा। गाँव वालों ने उसे बताया, “अरे भाई, तेरे पीछे तो ये कांड हो गया।”

तब जाकर सबको पूरा विश्वास हो गया कि जो घटना हुई थी, वह वाकई एक छलावे के साथ हुई थी। उस तालाब का रहस्य भी अब स्पष्ट था। वह छलावा नाना को निहत्था करना चाहता था, ताकि वह उन्हें उल्टा गाड़ सके, जैसा कि अक्सर ऐसी ग्रामीण इलाकों की भूतिया कहानियों में सुना जाता है। तालाब की मिट्टी नरम होती है, और ऐसे में किसी को उल्टा गाड़ना आसान होता है। जब तक नाना के पास लोहा था, वह छलावा उनके पास नहीं आ सकता था। यही कारण था कि वह बार-बार फावड़ा माँग रहा था, ताकि नाना के पास अपनी सुरक्षा के लिए कुछ न रहे।

इस अजीबोगरीब घटना के बाद, नाना का नाम पूरे क्षेत्र में फैल गया। उन्हें अब केवल पंडित जी नहीं, बल्कि “भूत को खिलाने वाले पंडित जी” के नाम से जाना जाने लगा। यह real horror story in hindi आज भी उस गाँव में एक किंवदंती की तरह सुनाई जाती है, जो इस बात का प्रमाण है कि कभी-कभी, अदृश्य दुनिया वास्तविक जीवन में भी दखल दे सकती है

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