भैरवपुर – एक श्रापित गाँव (Bhairavpur – The Cursed Village) – horror Story in hindi

Horror Story in Hindi उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में बसा था एक गाँव — भैरवपुर। इतिहास में दर्ज नहीं, नक्शों में गुम। कहते हैं, वहाँ एक ऐसा श्राप है जिसे सुनकर भी रूह काँप जाती है। वहाँ कोई जाता नहीं, और जो जाता है… लौट कर नहीं आता।
भैरवपुर - एक श्रापित गाँव- Horror Story in hindi
5
(1)

भाग 10: श्राप का अंत

मीरा और आदित्य अब बिना किसी रास्ते के चारों ओर देख रहे थे। रघु, अब पूरी तरह से भैरव बन चुका था, और उसकी शक्ति ने मंदिर को और भी भयावह बना दिया था। दीवारें कांप रही थीं, और चारों ओर अंधकार का साम्राज्य फैल चुका था। हर सांस के साथ, वे महसूस कर रहे थे कि समय उनके हाथों से फिसलता जा रहा है।

“आदित्य… हमें कुछ करना होगा,” मीरा ने कहा, “अगर हम यह मंत्र सही से नहीं बोल पाए, तो यह सब खत्म हो जाएगा। भैरवपुर हमेशा के लिए शापित रहेगा।”

आदित्य ने गहरी साँस ली, और फिर से उसने मीरा की आँखों में देखा। “हमारे पास एक ही मौका है। अगर हम यह मंत्र ठीक से नहीं बोलते, तो रघु को रोकना नामुमकिन हो जाएगा।”

मीरा ने पुराने तंत्रिका मंत्र को याद किया, और उसने धीरे-धीरे उसे बोलना शुरू किया, “ॐ रक्षायंत्रे महाक्रूरं, मरणासन्नं तांत्रिकं, रक्तपाशं वशीकुरुं, द्रुतं विनाशं मय।”

जैसे ही मीरा ने मंत्र बोलना शुरू किया, रघु की आँखों में एक भयावह चमक आई। उसकी देह में एक अजीब सी हलचल होने लगी। वह क्रोधित होकर आगे बढ़ा, “तुम मुझे नहीं रोक सकते!”

लेकिन जैसे ही मीरा ने मंत्र का अंतिम शब्द बोला, मंदिर की दीवारों से एक भयंकर रोशनी फूटी, और रघु के शरीर से एक अजीब सी आवाज़ आई, जैसे कुछ टूट रहा हो। उसकी आँखें अब पूरी तरह से जलने लगीं और वह गिर पड़ा।

रघु का चेहरा अब पूरी तरह से बदल चुका था। उसकी त्वचा जलने लगी और उसकी शक्ति धीरे-धीरे खत्म होने लगी। मीरा और आदित्य ने देखा, कि भैरवपुर का श्राप, जो वर्षों से इस गाँव पर था, अब खत्म हो रहा था।

फिर अचानक, जैसे कोई भारी ध्वनि सुनाई दी और मंदिर की दीवारें टूटने लगीं। पूरा वातावरण शांत हो गया। अंधकार का साम्राज्य धीरे-धीरे गायब होने लगा। रघु, अब बिल्कुल शांत पड़ा था, और उसकी शक्ति पूरी तरह से समाप्त हो चुकी थी।

“हमने इसे खत्म कर दिया… हम बच गए!” आदित्य ने राहत की साँस ली।

मीरा ने राहत के साथ कहा, “भैरवपुर अब मुक्त हो गया है। अब यहाँ की आत्माएँ शांति से विश्राम कर सकेंगी।”

लेकिन जैसा कि वे मंदिर से बाहर निकले, उन्होंने देखा कि भैरवपुर की धरती अब फिर से जीवित हो उठी थी। गाँव में अब अंधकार नहीं था, बल्कि एक अद्भुत शांति छाई हुई थी। लेकिन मीरा और आदित्य जानते थे कि उन्होंने एक खौ़फनाक यात्रा पूरी की है, और अब भैरवपुर को उसकी मुक्ति मिल चुकी थी।

आखिरकार, भैरवपुर के शाप का अंत हो चुका था। लेकिन वे जानते थे कि इस यात्रा ने उन्हें हमेशा के लिए बदल दिया था। वे अब उस अंधकार और शाप के बारे में कभी नहीं भूल सकते थे, जो उन्होंने भैरवपुर में महसूस किया था।

(समाप्त)

👁️ अंत में: भैरवपुर का शाप समाप्त हो गया, लेकिन यह कहानी हमेशा के लिए याद रखी जाएगी।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 5 / 5. Vote count: 1

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *