छत्तीसगढ़ की सच्ची डरावनी कहानी: एक अलौकिक अनुभव
नमस्ते दोस्तों, आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ एक सच्ची, अलौकिक घटना, जो यह बताती है कि शक्ति जब किसी इंसान के पास आती है, तो वह अक्सर अपना होश खो बैठता है। ताकत की भूख में वह यह भी भूल जाता है कि उसके आसपास कौन लोग रहते हैं। और अगर यह शक्ति रहस्यमयी हो, तो इंसान किसी की जान लेने में भी नहीं हिचकिचाता। ऐसे लोगों के कारण उनके आसपास रहने वालों का जीवन नरक बन जाता है। हमारी आज की कहानी अर्जुन ने सुनाई है और यह घटना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के एक छोटे से गांव में हुई थी। यह वाकई में एक डरावनी कहानी है जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी।
माया देवी: गांव की सबसे खौफनाक औरत
इस गांव में एक बूढ़ी औरत रहती थी, जिसका नाम था माया देवी। वह कोई साधारण बूढ़ी औरत नहीं थी। पूरा गांव उससे डरता था और उससे दूरी बनाकर रखता था। गांव में यह बात फैली हुई थी कि जो भी माया देवी की आंखों में आंखें डालकर बात करता है या उसका विरोध करता है, वह या तो बीमार पड़ जाता है या उसका कोई दुर्घटना हो जाती है। माया देवी को देखने मात्र से डर लगता था। उसकी आंखें बिल्कुल लाल थीं और उनमें कोई जीवंतता नहीं थी, जैसे किसी मुर्दे की आंखों में झांक रहे हों। गांव के कुछ लोगों ने उसे रात के समय काली शक्तियों की पूजा करते हुए देखा था। लोगों का कहना था कि वह मुर्गे के खून, बच्चों के बालों और कब्रिस्तान से लाई गई मिट्टी से रात में पूजा करती थी। उसने कई तरह की सिद्धियां प्राप्त कर ली थीं और उन्हीं को पाने के लिए वह ऐसी पूजा करती थी। यह भूतिया कहानी सुनकर आप भी कांप उठेंगे।
राघव का सामना और माया देवी का कहर – Horror Story in hindi
गांव में वैसे तो कोई उससे बात नहीं करता था और सब उससे दूर रहते थे। लेकिन अर्जुन के चाचा, राघव, जो कई सालों बाद अपने गांव आए थे, शहर में ही बस गए थे और वहीं उनका काम था। वह सिर्फ पुरानी यादों को ताजा करने और अपने परिवार से मिलने गांव आए थे। एक दिन जब चार-पांच लोग बैठे हुए थे, तो अचानक माया देवी की बातें शुरू हो गईं। उसके बारे में सुनकर राघव बोले, “अरे, वह तुम सबको पागल बना रही है। बेवकूफ बना रही है तुम लोगों को। वह एक पागल बुढ़िया है और यह सब उसका नाटक है। कौन सी शक्तियां? कौन सी सिद्धियां? अगर उसमें इतनी ताकत है तो मुझे श्राप देकर दिखाए। मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकती।”
उनकी यह बात सुनकर वहीं बैठे एक बूढ़े किसान, हरि बाबा, बोले, “बेटा, इस तरह किसी चुड़ैल के लिए नहीं बोलते। वह तुम्हारे सामने नहीं है, लेकिन फिर भी तुम्हारी बातें सुन रही होती है। तुम सही सलामत आए हो, सही सलामत वापस शहर जाओ और अपने घर पर रहो। तुम नहीं जानते, अगर उसकी नजर तुझ पर पड़ गई तो वह तुझे छोड़ेगी नहीं।”
राघव हंसने लगा और बोला, “अरे बाबा, अब अगर मेरी साइकिल का टायर भी पंक्चर होगा ना, तो भी तुम लोग यही कहोगे कि उस बुढ़िया ने किया है।” राघव के बोलने के बाद सबने कहा, “चलो, इस बात को यहीं खत्म करते हैं और अपने-अपने काम पर चलते हैं।” सब लोग उठकर वहां से चले गए।
अगली सुबह राघव किसी काम से साइकिल लेकर गांव से बाहर जा रहा था। यह घटना आज की नहीं, कई साल पहले की है। जब वह साइकिल से जा रहा था, तो गांव से निकलते ही रास्ते में एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ पड़ता था। लोग कहते थे कि माया देवी रात के समय वहां जाकर पूजा करती थी। जब राघव वहां से गुजर रहा था, तो कोई हवा नहीं चल रही थी, सब कुछ शांत था। तभी उसके कानों में एक आवाज गूंजी, जैसे कोई उसके कान में आकर गहरी सांस ले रहा हो। उसने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन कोई नहीं था। उसने अपनी साइकिल के एक-दो पैडल ही मारे होंगे कि तभी उसे एक औरत की आवाज सुनाई दी, “क्यों रे? मैंने सुना तू मुझे पागल कह रहा था?”
राघव घबरा गया और चारों तरफ देखा, उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था। वह डर के मारे अपनी साइकिल के पैडल तेजी से मारने लगा। वह चारों तरफ देख रहा था और साइकिल चला रहा था। तभी जिस पगडंडी पर वह चल रहा था, वह सीधी मेन सड़क पर जाकर मिलती थी। घबराते हुए जैसे ही वह पगडंडी पार करके सड़क पर पहुंचा, उधर से एक ट्रैक्टर आ रहा था। ट्रैक्टर जैसे ही उसे दिखा, बिल्कुल उसके ऊपर ही आ गया था। बचने के चक्कर में उसने साइकिल छोड़कर गिरा और जैसे ही वह गिरा, उसका पैर ट्रैक्टर के पहिए के नीचे आ गया। गनीमत रही कि सही समय पर ट्रैक्टर वाले ने ब्रेक लगा दिए, लेकिन फिर भी उसके पैर के कुछ हिस्से तक टायर चढ़ गया था और वहां से उसका पैर फट गया था।
उसे निकाला गया और गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां डॉक्टर ने कहा कि वह बच गया, वरना उसका पैर फ्रैक्चर हो जाता। अभी तो बस उसके कुछ लिगामेंट्स फट गए थे और थोड़ा मांस फट गया था। डॉक्टर ने पट्टी बांधकर उसे वापस घर भेज दिया। पूरे गांव में खबर फैल गई कि राघव का एक्सीडेंट हो गया है। सब लोग वहां पहुंचे। अभी कल ही तो राघव ने पूरे गांव वालों को चैलेंज दिया था। सबको पता था कि राघव का एक्सीडेंट अपने आप नहीं हुआ है। उन्होंने उससे पूछा कि क्या हुआ तेरे साथ? तो उसने बताया कि वह साइकिल से जा रहा था और उसे किसी औरत की आवाज सुनाई दी। फिर उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे जानबूझकर ट्रैक्टर के नीचे धक्का दे दिया हो।
गांव के बच्चे-बच्चे को पता था कि राघव का एक्सीडेंट क्यों और किसकी वजह से हुआ है, कल जो उसने खुलकर कहा था। लेकिन किसी की हिम्मत नहीं थी कि अभी राघव से कुछ बोले, क्योंकि वे चीजों को और आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे। कहीं न कहीं राघव भी यह समझ गया था कि कल उसने जो कहा था, वह वाकई में माया देवी ने सुन लिया था। कैसे और कहां से, यह कोई नहीं जानता, लेकिन अब राघव भी माया देवी से डरने लगा था। इस तरह से माया देवी की दहशत पूरे गांव में फैली हुई थी और कोई भी उससे बिना मतलब पंगा नहीं लेता था, क्योंकि सबको अपनी जान प्यारी थी। लेकिन माया देवी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था, वह अपनी सिद्धियों को प्राप्त करने में लगी हुई थी। यह सच्ची हॉरर कहानी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी।
मोहन का रहस्योद्घाटन: माया देवी का काला जादू
यहां मैं आपको उसकी फैमिली के बारे में बता देता हूं। उसकी फैमिली में उसका पति था, जो इस गांव में नहीं रहता था। वह कभी-कभी आया करता था, क्योंकि वह ड्राइवरी का काम करता था और ज्यादातर बाहर रहता था। माया देवी का एक बेटा भी था, जो अहमदाबाद में रहकर काम कर रहा था। वहां उसने शादी भी कर ली थी और उसकी पत्नी कभी भी इस गांव में नहीं आई थी।
राघव के साथ जो घटना हुई, उसके कुछ दिनों बाद, करीब एक-डेढ़ महीने के बाद माया देवी का पति, मोहन, अपने घर वापस आता है। मोहन एक सीधा-साधा इंसान था, जो गांव के लोगों से मिलजुलकर रहता था। जब वह गांव आता है, तो माया देवी भी बिल्कुल एक सामान्य महिला की तरह व्यवहार करती थी। मोहन ने कई बार गांव के लोगों से सुना था कि उसकी पत्नी ऐसे-ऐसे पूजा-पाठ करती है, लेकिन उसने कभी इस चीज पर इतना ध्यान नहीं दिया था और न ही उसे इससे कोई फर्क पड़ता था। उसे लगता था कि अगर वह पूजा-पाठ करती है, तो यह उसकी इच्छा है। लेकिन इस बार जब वह आया, तो लोगों ने उसे राघव के बारे में बताया, किस तरह से राघव का एक्सीडेंट हुआ और उसने यह भी कहा कि लोगों के पास क्या सबूत है कि उसकी पत्नी ने यह सब किया है। वे हमेशा से उसके पीछे पड़े रहते हैं, जबकि वह गांव में किसी को परेशान नहीं करती है। उसे अपनी पत्नी के बारे में इतना पता था कि वह इस तरह की पूजा-पाठ करती है, लेकिन वह किसी की जान ले सकती है, इस बात पर मोहन बिल्कुल भी विश्वास नहीं करता था।
खैर, मोहन गांव के लोगों से मिलकर वापस अपने घर आ जाता है। वह माया देवी से कुछ भी नहीं कहता है और जैसा कि मैंने आपको बताया, माया देवी उसके सामने बिल्कुल सामान्य तरीके से रहती थी। अब इसके एक-दो दिन बाद, मोहन रात को वाशरूम के लिए उठता है और जैसे ही वह उठता है, तो देखता है कि उसके घर के सामने से कुछ दिख रहा था। आप जानते हैं गांव के घर कैसे होते हैं, छोटी-छोटी चारदीवारी होती है, तो कोई लालटेन लेकर जाता है तो दिखाई देता है। वह सोचता है कि इतनी रात को कोई लालटेन लेकर खेतों की तरफ कौन जा रहा है? वह घूमकर देखता है तो उसके घर का दरवाजा खुला हुआ था। वह भागकर अंदर जाकर देखता है तो माया देवी अंदर नहीं थी। वह समझ गया था कि यह माया देवी ही है जो रात को कहीं जा रही है। वह सोचता है कि आखिर यह जा कहां रही है और वह उसका पीछा करना शुरू कर देता है।
अब यह तो आप समझ ही गए होंगे कि मोहन ने अपनी पत्नी का पीछा किया होगा, लेकिन वहां जाकर उसे क्या मिला, वह हम सुनेंगे इस कहानी में आगे। लेकिन अगर आपको यह कहानी पसंद आ रही है, तो इसे लाइक कर दें। अगर आपने चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है, तो प्लीज सब्सक्राइब करें। और हां, अगर आपने अभी तक हमारी यक्षिणी बुक नहीं पढ़ी है, तो इसे जरूर पढ़ें। आप लोगों को इस कहानी को पढ़कर बहुत मजा आएगा, क्योंकि जितने भी लोगों ने इस बुक को पढ़ा है, उनके बहुत ही पॉजिटिव रिव्यूज़ हैं। तो आप भी इस बुक को चेक आउट जरूर करें, इसका लिंक डिस्क्रिप्शन में दिया हुआ है। खैर, इसके बाद चलते हैं कहानी में आगे।
मोहन ने जैसे ही उस लालटेन को जाते हुए देखा, वह दबे पांव उसके पीछे चलने लगा और आगे जाकर उसने देखा, उसी बरगद के पेड़ के नीचे वाकई में माया देवी बैठी हुई थी और उसके पास में एक काले रंग का मुर्गा रखा हुआ था। मोहन की आंखों के सामने, कुछ मंत्र पढ़ते हुए उसने उस मुर्गे को गर्दन से उठाया और एक झटके में चाकू से गर्दन काट दी और जो खून निकला, उसे उसने मिट्टी में मिलाया और मिट्टी में मिलाकर वह कुछ मंत्र पढ़ते हुए कुछ न कुछ बोले जा रही थी। उसको यह करता हुआ देखकर मोहन चिल्लाते हुए बोलता है, “माया देवी, यह सब क्या है? लोग कह रहे हैं तू चुड़ैल है और तू चुड़ैल बने जा रही है। बंद कर यह पाप!”
माया देवी घूमकर मोहन की तरफ देखती है। कोई और औरत होती तो चौंक जाती, लेकिन माया देवी के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। उसकी आंखें बिल्कुल लाल थीं और वह मोहन को घूर रही थी। वह वहां से उठती है और मोहन को अनदेखा करके सीधे अपने घर पर चुपचाप चली आती है। मोहन भी उसके पीछे-पीछे अपने घर पर आता है। माया देवी चुपचाप अपने कमरे का दरवाजा बंद करती है और अंदर चली जाती है और मोहन भी दूसरे कमरे में चला जाता है, यह सोचकर कि इन सबके बारे में वह उससे सुबह बात करेगा।
सुबह उठकर मोहन माया देवी से बात करने की कोशिश करता है, लेकिन माया देवी उसकी हर बात को अनदेखा कर देती है। वह कुछ भी बोलता तो बस वह उसे गुस्से भरी निगाहों से देखती और बिना कुछ बोले अपने काम में लग जाती। अब जिन्होंने हमसे कहानी शेयर की, अर्जुन, उनका घर इनके घर के पास में ही था, मतलब यह मान लो कि इनके घर से घर साफ-साफ दिखता था, कुछ 10-15 कदम की दूरी पर ही उनका घर था। और जो मोहन था, उसकी बातचीत अर्जुन के दादाजी से बहुत अच्छी होती थी, तो वह उनसे मिलता है और उनको बताता है कि कैसे रात को उसने वाकई में अपनी पत्नी को उस बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करते हुए देखा।
अब अर्जुन के दादाजी को तो यह सारी बातें पहले से ही पता थीं कि वह यह सब करती है। आज उसके पति ने भी देख लिया था, लेकिन फिर भी उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं बोला, क्योंकि उन्हें डर था कि अगर कुछ वे बोलेंगे और उसे पता लग गया, तो यह तो चला जाएगा ड्राइवर ही करने, सारी मुसीबत मेरे ही ऊपर आनी है। तो उन्होंने मोहन की बातों का ज्यादा जवाब नहीं दिया और उसे कहा कि यार तू ना इसको जाने दे, यह जो कर रही है करने दे। तेरे मेरे या गांव के किसी भी आदमी के रोकने से यह रुकेगी नहीं। तू इग्नोर मार उसे। अर्जुन के दादाजी की बात मोहन को समझ में आ गई थी। इसके बाद पूरे दिन वह भी माया देवी से कोई बातचीत नहीं करता और अपने काम वगैरह में लगा रहता है। उसने भी अर्जुन के दादाजी से यही बात कही थी कि ठीक है, यही करूंगा, कल मैं वापस अपने काम पर निकल जाऊंगा शहर, जो करना है करती रहे, मरती रहे। यह हॉरर स्टोरी इन हिंदी आपको डरा देगी।