काला जादू और एक चुड़ैल: बिलासपुर गांव का अनसुना सच – Horror Story in hindi

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर गांव में माया देवी नाम की एक बूढ़ी औरत का खौफ फैला था। उसकी तांत्रिक शक्तियों और काले जादू ने पूरे गांव को डरा रखा था। क्या यह एक सच्ची कहानी है जो रूह कंपा देगी? जानने के लिए पढ़ें यह भयावह दास्तान!
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मोहन की रहस्यमय मौत और परिवार पर माया देवी का कहर

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खैर, उस रात शायद मोहन को पता नहीं था कि अगली सुबह वह देख नहीं पाएगा। अगली सुबह जब अर्जुन के दादाजी फ्रेश होने के लिए खेतों की तरफ निकलते हैं, तो निकलते-निकलते उनकी नजर अपने घर के, मतलब मोहन के घर के बरामदे पर पड़ती है, जहां एक खाट के ऊपर मोहन लेटा हुआ था। गुजरते ही उन्होंने मोहन को आवाज दी, “मोहन, चल फ्रेश होने चलते हैं।” उधर से मोहन का कोई जवाब नहीं आया। पहले तो उन्हें लगा कि वह सोया हुआ है। उन्होंने दो-तीन बार उसे आवाज दी। आमतौर पर गांव में लोग एक ही बार में उठ जाते हैं, लेकिन उन्हें मोहन के शरीर में कोई हलचल दिखाई नहीं दी। जब उन्हें कोई हलचल दिखाई नहीं दी, तो वे उसके थोड़ा पास गए और जैसे ही उसके पास जाकर उन्होंने देखा, तो बिल्कुल चौंक गए। खाट पर मोहन की लाश पड़ी हुई थी, जिसकी आंखें खुली हुई थीं और आंखें ऐसी खुली थीं जैसे किसी बहुत डरावनी चीज को उसने देख लिया हो और उसके सदमे से ही वह मर गया हो।

यह देखते ही अर्जुन के दादाजी पूरी तरह घबरा जाते हैं और वह सीधा वहां से भागते हैं उल्टे पैर और गांव में जाकर बताते हैं कि इस तरह से मोहन की मौत हो गई है, उसकी पत्नी ने उसको मार दिया है। पूरे गांव में खबर फैल गई कि मोहन मर गया है और अपने घर के अंदर ही मरा हुआ मिला है। इस तरह से उसकी आंखें फटी हुई हैं। मतलब सारा सब कुछ आप जानते हो गांव में कैसे खबर फैलती है। और अब गांव में हर किसी को यही पता था कि यह मौत स्वाभाविक नहीं है। इस मौत के पीछे कहीं न कहीं माया देवी का हाथ है, क्योंकि अर्जुन के पिताजी से एक दिन पहले ही मोहन ने सारी बातें बताई थीं। लेकिन कोई साबित करे तो क्या करे? किसके पास सबूत था कि मोहन की मौत माया देवी की वजह से हुई है? सब लोग अपनी इस थ्योरी को अपने साथ लेकर बैठ गए।

मोहन की मौत की खबर सुनकर उसका बेटा भी वापस गांव लौट आता है अपनी पत्नी के साथ। वह आता है, अपने पिता का सारा अंतिम संस्कार वगैरह करता है और उसके बाद वह फैसला करता है कि अब वह अपनी मां के पास यहीं पर रहेगा, क्योंकि अब उसकी मां बिल्कुल अकेली रह गई है। बीच में तो कभी-कभी पिताजी आ जाया करते थे, अब उसकी मां को कौन संभालेगा? लेकिन अपने बेटे के इस फैसले से माया देवी बिल्कुल भी खुश नहीं थी। उसने तो कई बार समझाया कि बेटा मेरी चिंता मत कर, मैं यहां पर बिल्कुल ठीक हूं। तू आराम से जा अपना काम वगैरह संभाल। अगर कोई दिक्कत आएगी तो मैं तुझे खबर पहुंचा दूंगी। लेकिन उसके बेटे ने उसकी कोई बात नहीं सुनी और अब पूरा परिवार उसी घर के अंदर रहने लगा।

शुरू के 20-25 दिन तो सब कुछ सही चला, लेकिन 20-25 दिनों के बाद एक दिन माया देवी की बहू, यानी उसके बेटे की पत्नी, उससे कहती है कि सारे गांव वाले कहते हैं कि तुम्हारी मां को तंत्र विद्या आती है, वह कुछ सिद्धियों के लिए पूजा वगैरह करती है। शुरू-शुरू में तो मुझे लगा सब लोग यही बकवास कर रहे हैं, लेकिन मैंने भी एक रात तुम्हारी मां को कुछ मंत्र पढ़ते हुए देखा और वह अजीब-अजीब सी पूजा करती है। और जब माया देवी के बेटे को उसकी बहू ने सारी बातें कहीं, तो उसने कहा, “तो क्या हो गया? पूजा करती है तो तुझे क्या दिक्कत आ रही है?” दरअसल, जो माया देवी का बेटा था, वह पूरी तरह से माया देवी के नियंत्रण में था। वह उसके खिलाफ एक भी बात सुन नहीं सकता था, जैसे माया देवी ने उसको सम्मोहित किया हुआ हो। उसने उससे कहा, “तुम चुपचाप अपना काम करो, इन सब बातों पर ध्यान मत दो। यह गांव वाले पागल हैं, यह सब बोलते रहते हैं।” लेकिन वह भी शांत कैसे बैठती? वह सब अपनी आंखों से देखती थी।

अब जब माया देवी को यह बात पता लगी, जाहिर सी बात है उसके बेटे ने अपनी मां को यह बात बताई, “कल ऐसे-ऐसे वह बहू बोल रही थी,” तो उसे शायद किसी तरह की असुरक्षा हुई या फिर कुछ और। अगले दो दिन के बाद, रात को करीबन 2:00 बजे, उसके बेटे ने अपनी पत्नी को बाथरूम में बंद किया, जो इनके घर में एक नहाने का बाथरूम बना हुआ था, और उस बाथरूम में केरोसिन डालकर उस औरत को आग लगा दी। उसकी जलने की चीखें पूरे गांव में गूंज रही थीं और चीखों की आवाज सुनकर सारे गांव वाले वहां पर इकट्ठा हो गए और जाकर उन्होंने बाथरूम का गेट तोड़ा, लेकिन जब तक गेट तोड़कर उसे बाहर निकाला, वह 80% जल चुकी थी। थोड़ी देर में उसकी वहीं पर मौत हो गई। और उसके जलने की खबर सुनकर पुलिस वहां पर आई। पूछताछ होती है और वह माया देवी के बेटे को पकड़ कर ले जाती है।

कुछ समय तक माया देवी का बेटा जेल में ही रहता है। उस समय तक माया देवी अपने घर में अकेली रहती है और लोगों ने देखा कि माया देवी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि उसकी बहू की जलकर मौत हो गई है और उसका बेटा जेल चला गया है। कुछ दिनों के बाद उसका बेटा भी सबूतों के अभाव में छूटकर वापस आ जाता है और आकर वह सीधा अहमदाबाद चला जाता है। वहां से करीबन 2-3 महीने के बाद वह दोबारा आता है, एक नई लड़की से शादी करके।


भटकती आत्मा का आतंक और दादाजी की हिम्मत

अब होता क्या है कि वह जो नई लड़की लेकर आया था, उस लड़की को दो-तीन दिन के बाद वह जली हुई औरत दिखना शुरू होती है। वह सिर्फ उसे दिखती थी, उसे कुछ करती नहीं थी। एक रात जब वह उठी, तो बाथरूम के बाहर उसे वह औरत खड़ी हुई दिखाई दी। शायद माया देवी ने अपने घर को या फिर उस शक्ति को बांध दिया था कि वह बाथरूम से आगे घर के अंदर नहीं आ सकती थी। और भाई साहब, यह जो नई बहू थी ना, यह बहुत खतरनाक थी। उसे वह जली हुई औरत सामने दिख रही है, लेकिन उसने यह बात किसी को भी नहीं बताई। आप और मैं होते तो शायद माजरा कुछ और होता। वैसे एक सवाल आपके लिए कि अगर आप उस जगह पर होते, तो क्या आप भी चुपचाप देखते रहते?

लेकिन धीरे-धीरे मौका देखकर वह शक्ति उस नई बहू को अपने वश में कर लेती है और उसकी तबीयत धीरे-धीरे खराब होने लगती है। जैसे ही अपनी पत्नी की तबीयत खराब होती है, माया देवी का बेटा उससे लड़ाई करना शुरू करता है। अपने बेटे का ऐसा रूप देखकर माया देवी कुछ-कुछ करके उस लड़की को ठीक करती है और उसके बाद उसका बेटा उसको अहमदाबाद लेकर वापस चला जाता है। लोगों ने तो माया देवी से वैसे ही दूरी बना रखी थी और उसकी जिंदगी में क्या चल रहा है, लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था।

लेकिन फिर से गांव वालों का ध्यान माया देवी के घर की तरफ गया, जब अचानक से लोगों को माया देवी के घर से रात के समय एक औरत के चिल्लाने की आवाज आने लगी। एक औरत जो बुरी तरह से दर्द में चिल्ला रही हो और रो रही हो। लोग समझ गए थे कि यह किसकी आवाज है। लोग यह भी समझ गए थे कि जो नई बहू आई है, वह पुरानी बहू की आत्मा को जगाकर चली गई है। अब माया देवी को तो जादू टोना आता था, इसलिए उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था, लेकिन गांव के लोगों को अब उस औरत की आत्मा दिखने लगी थी। वह आत्मा गांव की गलियों में भटकती थी। रात को करीबन 1-2 बजे के आसपास वह माया देवी के घर से निकलती और नीचे गलियों में उतरती हुई गांव के जो घर थे, वहां से गुजरती और जब वह गुजरती थी, तो वह रोते हुए गुजरती थी और उसके रोने की आवाज सुनकर सोते हुए आदमी की नींद खुल जाती थी और जागते हुए आदमी की आत्मा सिहर जाती थी। वह इतनी बुरी तरह से रोती थी। यह सच्ची भूत प्रेत की कहानी है।

अब यह जो अर्जुन के दादाजी हैं, उनके भाई का घर उसी गली में था, मतलब माया देवी के घर से थोड़ी ही दूर था। उनके घर में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था, तो उन्होंने अपनी फैमिली को दूसरे गांव में शिफ्ट किया हुआ था। और क्योंकि कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था, इसी के साथ-साथ इनके घर का सामान भी वहीं पर खुला पड़ा हुआ था, इसलिए रात को रखवाली करने के लिए अर्जुन के दादाजी के भाई वहीं पर सोया करते थे।

तो एक रात की बात है, वह अपने घर के आंगन में सो रहे थे और रात के करीबन 2:00 बजे उनकी आंख खुली पायल की आवाज से, जैसे कोई लेडी पायल पहनकर चल रही हो। वह कुछ सोच पाते उससे पहले ही उन्हें बहुत बुरी तरह से एक औरत के रोने की आवाज सुनाई दी। ऐसी आवाज कि एक बार के लिए तो उनकी भी सांसें थम गईं, उनके रोंगटे खड़े हो गए। वह समझ गए थे कि वही जलकर मरने वाली औरत है जो आज उनके घर के बाहर आकर खड़ी हो गई है। अब वह दादाजी भी उठकर अपने पलंग के ऊपर बैठ गए और बाहर देखने लगे। बहुत हिम्मत है भाई साहब। वैसे अगर आप उस जगह पर होते तो आप क्या करते कि आपके घर के अंदर गेट ही नहीं है, दरवाजा तो है ही नहीं, और बाहर वह औरत खड़ी होकर रो रही है।

खैर, यह जो अर्जुन के दादाजी के भाई थे, यह बड़े हिम्मत वाले थे और इन चीजों से वह इतनी आसानी से घबराते नहीं थे। उन्हें इनसे डील करना आता था। वह अपनी खटिया के पास पड़ी लकड़ी को जमीन पर दो बार फटकारते हैं और बोलते हैं, “कौन छे जो तेरी रात में रो रही छे? जो कोई भी छे, सीधी-सीधी थारे गले चली जा, नहीं तो चोखो को हो।” मतलब उन्होंने कहा कि कौन है जो इतनी रात में यहां खड़े होकर रो रही है? तो जो भी कोई है, सीधे-सीधे अपने रास्ते चली जा वरना अच्छा नहीं होगा। उनकी यह आवाज सुनकर वह औरत चुपचाप सीधी-सीधी रोती-रोती अपने रास्ते चली गई, जिस रास्ते वह रोजाना जाया करती थी।

तो देखा आपने, अगर आप इन चीजों से डरेंगे तो यह आपको और डराने की कोशिश करेंगी और थोड़ी सी हिम्मत अगर आप जुटाकर इनसे कड़क आवाज में बात करेंगे तो हो सकता है यह अपना रास्ता नाप लें। राजस्थानी तो मैं आपको सिखा दूंगा, रुको जरा सबर करो।

अब इस रात तो यह वाक्या हुआ। मुझे लगा कि ठीक है, उनकी फटकार से वह चली गई है। अगली रात वापस सेम उसी टाइम के आसपास वह औरत फिर से आकर इनके घर के बाहर रोने लगी। आज उन्होंने कल की तरह उतनी हिम्मत नहीं की और वह अपने खटिया पर ही लेटे रहे, क्योंकि उन्हें समझ में आ गया था कि अब अगर यह दोबारा आ गई है ना, तो मतलब यह अब इतनी आसानी से नहीं जाएगी। वह लेटे हुए थे और चुपचाप बाहर देख रहे थे। बाहर उन्हें वह औरत साफ-साफ दिखाई दे रही थी, एक काली परछाई। वह आंख खोलकर देख रहे थे कि आखिर यह करती क्या है? उन्होंने देखा कि उनके घर के बाहर जो रेत और गिट्टी, जो कंकड़ होते हैं, जिनको हम आरसीसी में यूज करते हैं, उसके ढेर के ऊपर वह बैठ गई और कभी एक कंकर इधर उछाल रही है, कभी एक कंकर उधर उछाल रही है, कंकरों को फैला रही है। करीबन आधे घंटे तक वह यही सारे काम करती रही और फिर उसके बाद वह चुपचाप उठी और वापस उसने रोना शुरू किया और रोते-रोते वह वापस से अपने रास्ते नीचे उतरते हुए बाकी घरों की तरफ चली गई।

और जब यह हो गया, तो उन्हें समझ में आ गया कि भैया अगर इसका कुछ इलाज नहीं किया गया, तो तो रोज आएगी। तो अगले दिन उन्होंने एक तांत्रिक को बुलवाया और अपने घर की बाउंड्री को उन्होंने बंधवा लिया, ताकि वह और कोई दूसरी शक्ति भी उनके घर में प्रवेश न कर सके। अब इसके बाद वह गांव वालों को भी बात बताते हैं और गांव वाले भी उस तांत्रिक से मिलते हैं। तांत्रिक से बात करते हैं, तो बोलता है कि जो माया देवी है, वह सिद्धियां ले रही है चुड़ैल की और इसके लिए वह बलियां दे रही है। उसने अपने पति और अपनी बहू दोनों की बलि दे दी है। अब यह सुनकर सारे गांव वाले हैरान थे कि अगली बलि किसकी हो सकती है। उन्होंने तांत्रिक से कहा कि वह उनको बचाए, कुछ तरीका बताएं। तो उसने कहा कि उससे मैं नहीं लड़ सकता, वह बहुत शक्तिशाली है, उसके पास काफी शक्तियां हैं। और मैं आपको बता दूं, अभी आप जो बात कर रहे हो ना, वह उस बात को भी सुन सकती है।

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