गांव वालों का अंतिम निर्णय और माया देवी का अंत
वहां से निराश होकर सब गांव वाले चले आते हैं। उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था और अब उन लोगों ने माया देवी के घर की तरफ जाना ही बंद कर दिया था। पहले माया देवी और अब उसकी बहू की भटकती आत्मा। गांव वालों को लग रहा था कि गांव में पता नहीं कैसी मनहूसियत फैल गई है। पूरे गांव की पंचायत बैठी और यह फैसला किया गया कि 6:00 बजे बाद उस तरफ कोई भी नहीं जाएगा। इसी के साथ-साथ यह भी फैसला हुआ कि हम किसी बड़े पंडित या तांत्रिक को या किसी संत आदमी को बुलाकर लाएंगे और जब तक इन चीजों का इलाज नहीं हो जाता है, गांव वालों को सतर्क रहना होगा, सावधान रहना होगा। यह सबसे डरावनी कहानी है।
इस घटना के चार-पांच दिन बाद ही, पहले तो माया देवी लोगों को दिन में इधर-उधर घूमती फिरती दिख जाया करती थी, लेकिन पिछले चार-पांच दिनों से माया देवी किसी को भी दिख नहीं रही थी। देखो ऐसा होता है, उनको उससे मतलब नहीं था, लेकिन उस पर नजर लोग जरूर रखते थे। अब जब वह चार-पांच दिन से नहीं दिख रही थी, तो लोगों को लग रहा था कि जरूर किसी पूजा में लगी हुई है और गांव में से किसी का भी नंबर आ सकता है। सभी लोगों को और स्पेशली बच्चों को बचाकर और सतर्क रहने के लिए कहा गया था। यहां तक कि बच्चों को तो दिन में भी बाहर नहीं निकलने दिया जाता था।
अब इसी दौरान एक बड़े, बहुत पहुंचे हुए तांत्रिक को गांव में बुलाया था किसी ने। जैसे ही वह आए, तो सब लोगों ने माया देवी के बारे में बताया। वह और सारे गांव वाले इकट्ठा होकर माया देवी के घर के बाहर गए और उस तांत्रिक ने बाहर जाकर माया देवी को ललकारा, “ऐ बुढ़िया, बाहर निकल!” लेकिन माया देवी के घर में से कोई आवाज नहीं आई। उसने फिर से आवाज लगाई, कोई जवाब नहीं। उसके साथ-साथ दूसरे गांव वालों ने भी आवाज लगाई, लेकिन किसी को कोई जवाब नहीं मिला। करीबन आधे-पौन घंटे इंतजार करने के बाद भी जब उसके घर से न कोई आवाज आई, न माया देवी बाहर आई, तो लोगों को लगा कि हो सकता है माया देवी घर छोड़कर कहीं भाग गई हो। उन्हें यह लगा कि अगर ऐसा हुआ है, तो बहुत ही बढ़िया, इस घर को ही कीलित करवा देंगे।
बड़ी हिम्मत करके चार-पांच लोगों ने मिलकर माया देवी के घर का दरवाजा तोड़ा और जैसे ही दरवाजा तोड़ा, सबकी आंखें खुली की खुली रह गईं। सामने उसी बाथरूम, जहां पर उसकी बहू की जलकर मौत हुई थी, उसके बाहर माया देवी की आधी जली हुई लाश पड़ी हुई थी। अब जैसे ही यह दिखा, पूरे गांव में इकट्ठा था। पूरे गांव में खुशी की लहर फैल गई, “चलो, एक आफत कटी।” तांत्रिक भी अंदर पहुंचता है। वह बोलता है, “रुको जरा, अभी इसकी बॉडी को मत उठाना। इसका कोई वारिस है?” तो बोलते हैं कि हां, इसका बेटा है। बोले, “उसके बेटे को बुलाओ।” फिर उसके बाद उन्होंने अपनी कुछ विधि की। पूरे घर के अंदर सब कुछ किया, बांधा उसको। अहमदाबाद से उसके बेटे को बुलाया गया। उसका अंतिम संस्कार करवाया गया और अंतिम संस्कार से पहले उन तांत्रिक के द्वारा उसकी बहुत अच्छे से पूजा करवाई गई, जिसमें उसके बेटे ने भी साथ दिया, क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां क्या करती थी। और इस तरह से यह गांव मुक्त हुआ माया देवी से। यह horror story in hindi आपको झकझोर कर रख देगी।
उस दिन के बाद न माया देवी दिखी, न माया देवी से संबंधित कोई चीज और न ही वह जली हुई बहू की आत्मा। पूरे गांव वालों को यही लगता है कि उसकी बहू ने अपना बदला ले लिया है, उसी ने माया देवी को मार दिया है, इसलिए उसकी बॉडी आधी जली हुई थी। लेकिन यह सब कैसे हुआ? माया देवी जो इतनी शक्तिशाली थी कि जिससे पंडित और तांत्रिक भी पंगा लेने में घबराते थे, एक भटकती आत्मा ने उससे अपना बदला ले लिया। आपको क्या लगता है? कमेंट सेक्शन में अपने विचार जरूर बताएं। हम लोग मिलते हैं अपनी अगली भूतिया कहानी में।