छाया घाट की रहस्यमयी रात – भाग 6
चारों दोस्त जैसे-तैसे घाट से बाहर निकले। नेहा अभी भी होश में नहीं थी, लेकिन उसकी साँसें चल रही थीं। सिद्धार्थ ने अपनी बाइक से मोबाइल निकाला और पुलिस को कॉल करने लगा, लेकिन नेटवर्क पूरी तरह गायब था।
आदित्य ने अचानक रुक कर कहा,
“तुमने सुना…? कोई और था वहां… किसी औरत की आवाज़…”
श्वेता ने कांपते हुए कहा,
“मैंने भी सुना… वो बोली थी, ‘अब भी एक बाकी है…’ इसका मतलब क्या है?”
तभी एक बूढ़ी औरत, जो घाट के पास बने पुराने मंदिर की ओर से आ रही थी, उनके पास आई। उसकी आँखें सफ़ेद थीं, जैसे वो देख नहीं सकती, लेकिन उसकी चाल बहुत सीधी और अजीब थी।
वो बोली,
“तुमने उसे नाराज़ किया है। वो पूरी तरह गई नहीं है। उसने अब तुममें से किसी एक को चुना है…”
चारों एक-दूसरे को देखने लगे — डर और संदेह के बीच।
नेहा को होश आने लगा था। उसने आँखें खोलीं और बुदबुदाई —
“वो… वो मेरे अंदर आ गई थी… लेकिन अब… अब वो किसी और में है…”
श्वेता पीछे हट गई —
“क…क्या मतलब है तुम्हारा?”
नेहा ने धीरे से सिद्धार्थ की ओर देखा —
“उसने तुम्हें चुना है…”
तभी सिद्धार्थ की आँखें कुछ पल के लिए काली पड़ गईं… एक धुँधली सी परछाई उसके पीछे खड़ी नज़र आई, जो पल भर में गायब हो गई।
बूढ़ी औरत फुसफुसाई —
“अब जो होगा, वो और भी भयानक होगा… क्योंकि इस बार वो सिर्फ़ आत्मा नहीं, शरीर भी चाहती है…”