कोठी की रानी और अधूरी वासना: एक शापित प्रेम कहानी – Erotic Horror Story in hindi

1903 की रानी माधवी, एक अधूरी प्रेम कहानी और शापित कोठी की रहस्यमयी घटना पर आधारित erotic horror कहानी। मोहब्बत और मौत का ऐसा संगम पहले कभी नहीं पढ़ा होगा।
Erotic Horror Story in hindi
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आपकी वेबसाइट पर यह कहानी भेजना मेरे लिए आसान नहीं था। लेकिन मैंने अब तक इसे किसी से साझा नहीं किया था — और शायद अब वक्त आ गया है। मेरी जिंदगी की सबसे असली, सबसे कामुक… और सबसे डरावनी रात।”
नाम गुप्त रखा गया है

“मैंने उसे पहली बार देखा, जब वो जल चुकी थी… और फिर भी मुझसे प्यार कर रही थी।”

मैं कभी भूत-प्रेत में विश्वास नहीं करता था।

मैं लखनऊ में आर्किटेक्ट हूं। पुरानी इमारतों का सर्वे मेरा काम है। दो साल पहले, मुझे लखनऊ के बाहरी हिस्से में स्थित “राजा साहब की कोठी” का नक्शा तैयार करने के लिए भेजा गया।

वो कोठी… इतनी भव्य थी कि मुगलों के ज़माने की लगती थी। लेकिन जितनी सुंदर बाहर से, उतनी ही सड़ी हुई भीतर। और सबसे अजीब बात? ये कोठी आज तक कोई खरीद नहीं पाया था।


गाँव वालों की चेतावनी – Erotic Horror Story in hindi

मुझे बताया गया कि ये कोठी लगभग 120 साल पुरानी है। कई खरीदार आए, लेकिन एक-एक करके सब डर कर भाग गए। गांव वालों ने सिर्फ एक बात कही:

“कोठी में ‘वो’ है… माधवी रानी। रात में आती है। और जिसे वो चुन ले, उसे फिर कोई नहीं बचा पाता।”

मुझे लगा, पुरानी जगहों को लेकर ऐसी कहानियाँ आम हैं। लेकिन मुझे अंदाज़ा नहीं था कि ये एक वार्निंग नहीं थी… ये एक श्राप था।


पहली शाम – कोठी में कदम

नवंबर की हल्की सर्दी थी। शाम के पाँच बजे, मैं कोठी पहुँचा। लोहे का भारी दरवाज़ा खुद खुला। दरवाज़े की आवाज़ ऐसी थी जैसे सदियों से कोई अंदर क़ैद हो।

अंदर का हॉल देखकर मेरी साँसें थम गईं। ऊँची छत, झूमर जो अब भी अधटूटे लटके थे, और दीवारों पर उर्दू-फारसी में कुछ लिखा हुआ… लेकिन एक बात अजीब थी — कमरे में गुलाब और चंदन की बहुत तेज़ महक थी।


सीढ़ियों पर उसका साया – Erotic Horror Story in hindi

मैं कैमरे से कुछ तस्वीरें ले रहा था जब मुझे ऊपर सीढ़ियों से हल्की सी चूड़ियों की आवाज़ सुनाई दी।

मैंने सर उठाया… और वहीं उसे पहली बार देखा।

लाल बनारसी साड़ी में, लंबे बालों वाली एक महिला। चेहरा आधा साया में छिपा। लेकिन उसकी आंखें – बड़ी, गीली, और भीतर तक उतारने वाली।

वो एक पल रुकी… फिर धीरे-धीरे मुस्कराई।

और फिर… गायब।


पहली रात – उसका इंतज़ार

रात के लगभग 1 बजे थे। मैं नीचे हॉल में लेटा था। नींद आंखों से दूर थी। तभी मुझे फिर से वही महक महसूस हुई — गुलाब और केसर जैसी, लेकिन अब उसमें राख की हल्की गंध भी घुली थी।

फिर मुझे उसकी सांसों की आहट सुनाई दी… बिल्कुल पास से।

मैंने करवट ली — और वो वहीं थी।

एक बेहद सुंदर, कामुक स्त्री, जिसकी साड़ी अब भीग चुकी थी, उसके शरीर से चिपकी हुई। उसकी त्वचा पर आधे जले हुए निशान थे, और उसके होंठ… काले, मगर लुभावने।

“तू आ गया… बहुत देर कर दी आने में।”

उसने मेरी शर्ट की कॉलर थामी और धीरे-धीरे मुझे अपनी ओर खींच लिया।

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