कोठी की रानी और अधूरी वासना: एक शापित प्रेम कहानी – Erotic Horror Story in hindi

1903 की रानी माधवी, एक अधूरी प्रेम कहानी और शापित कोठी की रहस्यमयी घटना पर आधारित erotic horror कहानी। मोहब्बत और मौत का ऐसा संगम पहले कभी नहीं पढ़ा होगा।
Erotic Horror Story in hindi
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वासना या वश?

उसका हर स्पर्श मुझे भीतर तक कंपा देता था। उसकी उंगलियाँ बर्फ जैसी थीं, लेकिन देह से गर्मी निकल रही थी – उन्मादी, अधूरी, तड़पती मोहब्बत की गर्मी।

Erotic Horror Story in hindi
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वो मेरे गले पर झुकी, और मैंने उसे रोका नहीं।

हमारे होंठ मिले। एक चुंबन… जो ऐसा था मानो किसी राख से ढके गुलाब को चख लिया हो। जैसे कोई जली हुई आत्मा तुम्हारी आत्मा से लिपट गई हो।

उसने कहा:

“मैं मर चुकी हूँ… पर तुझसे मोहब्बत अब भी जिंदा है। तू ही है वो… मेरा आरव।”

मैंने कहा, “मैं आरव नहीं, मेरा नाम विनय है।”

उसकी आँखें जल उठीं।

“झूठ। तू वही है… जिसने मुझे जलने दिया था। इस बार मैं तुझे जाने नहीं दूँगी।”


हर रात वो और करीब आई

अगली तीन रातों में, मैं कोठी छोड़ने की कोशिश करता रहा। लेकिन हर बार कोई न कोई दरवाज़ा बंद, खिड़की सील, रास्ता भटक जाता।

वो हर रात आती। उसकी साड़ी अब और पारदर्शी हो चुकी थी। वो मेरे शरीर पर अपने जले हुए होठों से लिखती — कभी नाम, कभी लालसा।

मैं खोता गया। मुझे उसके बिना नींद नहीं आती थी। मैं चाहता भी था और डरता भी।

हर रात हमारा रिश्ता और गहरा, और भी वासना में डूबा होता गया।

पर हर बार, उसके शरीर पर जलने की नई परतें दिखती थीं — जैसे वो धीरे-धीरे पिघल रही हो।


कोठी का रहस्य

एक दिन, बेसमेंट में मुझे पुराना रजिस्टर मिला — एक राजसी हस्तलिपि में लिखा गया:

“रानी माधवी – जिन्दा जलाई गई, प्रेम के अपराध में। हर 100 साल बाद उसकी आत्मा फिर जागती है, अपने अधूरे प्रेम को पूरा करने।”

नीचे लिखा था:

“जो उसे अपना दिल दे, वो फिर अपना जिस्म खो बैठता है। और जो उसे जिस्म दे, वो अपना होश…”


आखिरी रात – आखिरी समर्पण

उस रात वो मेरे पास आई, बिलकुल नग्न। उसकी देह राख से ढकी थी, आँखें अब पूरी तरह लाल, पर उसकी चाल वही मोहक।

उसने कहा:

“आज आखिरी बार… या तो तू मुझे अपनाएगा… या मेरे साथ जल जाएगा।”

मैंने खुद को रोका नहीं। मैंने उसे बाँहों में भर लिया।
हमारी साँसें, हमारी देह, और हमारी आत्माएं — तीनों एक साथ जलती, एक साथ विलीन होती महसूस हुईं।

वो मुझे चूमती रही, मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ाती रही, और मैं उसके जलते हुए तन को अपनी बाँहों में कसता रहा।

फिर… मुझे कुछ नहीं याद।


सुबह का सच

सुबह कोठी में सिर्फ़ मेरा कैमरा मिला।

उसमें आख़िरी फोटो थी — मेरी, लेकिन मेरी आँखें बंद थीं… और मेरी छाती पर राख से लिखा था:

“माधवी का आरव”


क्या मैं अब भी जिंदा हूँ?

मैं बाहर आ गया। शायद…

पर हर रात कोई मेरी खिड़की पर दस्तक देता है।

और जब मैं आँखें बंद करता हूँ, तो एक जली हुई औरत मुझे चूमती है… और कहती है:

“हम अधूरे थे… अब हमेशा के लिए एक हैं।”

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