अंधेरे की आहट: तांत्रिक साधना का अनमोल लालच
नमस्ते दोस्तों, रहस्य लोक में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज मैं आपको एक ऐसी सच्ची और डरावनी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो आपको अंदर तक झकझोर देगी। यह कहानी सिर्फ डर की नहीं, बल्कि वासना, लालच और भयानक परिणामों की है। यह घटना आज से करीब 14 साल पहले महाराष्ट्र के ठाणे जिले में घटी थी, जहाँ एक सीधा-सादा ड्राइवर, विकास शिंदे, अपनी सादगी भरी जिंदगी से खुश नहीं था। उसकी पत्नी नेहा, जो घर की सुख-शांति चाहती थी, उसे हमेशा कहती कि पूजा-पाठ से ही सब अच्छा होता है।
सुबह का वक्त था। विकास अपनी टैक्सी लेकर निकलने को तैयार था, तभी नेहा पूजा की थाली लेकर आई और उसके माथे पर तिलक लगाया। “क्या फायदा है पूजा-पाठ का? कोई मतलब ही नहीं है इन सब चीजों का,” विकास ने झुंझलाते हुए कहा। तभी उसका 10 साल का बेटा पास आकर बोला, “पापा, स्कूल की फीस देनी है और स्कूल पिकनिक के लिए भी 500 रुपये जमा करने हैं।” यह सुनकर विकास ने नेहा से कहा, “सुना तुमने? मामूली ड्राइवर की नौकरी में यह सब कैसे मैनेज करूं?” इतना कहकर वह निराशा में घर से निकल गया।
अघोरी से मुलाकात: वासना और शक्ति का पहला कदम – Erotic Horror Story in hindi
रात हो चुकी थी। विकास को घर लौटना था, लेकिन वह सोच रहा था कि अगर घर की तरफ कोई सवारी मिल जाती, तो बच्चे की फीस के लिए कुछ पैसे जुट जाते। तभी हाईवे पर उसे कोई हाथ दिखाता नजर आया। विकास मन ही मन खुश हुआ कि अब उसे कोई भाड़ा मिलने वाला है। लेकिन उसकी खुशी ज्यादा देर नहीं टिकी। उसने गाड़ी रोकी, तो वहाँ एक भयानक रूप वाला बाबा खड़ा था – शायद कोई अघोरी।
उस अघोरी बाबा ने विकास से कहा, “बेटा, मुझे 2 किलोमीटर आगे जाना है। मैं बहुत थक चुका हूँ। क्या तुम मुझे छोड़ दोगे?” विकास ने हिचकिचाते हुए पूछा, “क्या आपके पास पैसे हैं?” अघोरी बाबा मुस्कुराए, उनकी आँखें अँधेरे में चमक रही थीं। “पैसे तो नहीं हैं मेरे पास, लेकिन पैसे से बढ़कर बहुत कुछ है तुम्हें देने के लिए।” विकास ने ताना मारा, “बाबा, आज के जमाने में पैसा ही तो सब कुछ है।” फिर उसने कहा, “ठीक है, आपके पास नहीं है तो चलो, छोड़ देता हूँ आपको। आओ, बैठ जाओ।”
बाबा विकास की गाड़ी में बैठ गए और उनका सफर शुरू हुआ। बाबा ने विकास से कहा, “बहुत परेशान लग रहे हो। मुझे बताओ अपनी परेशानी। शायद मैं तुम्हारी मदद कर पाऊं।” विकास ने लंबी साँस ली, “छोड़िए बाबा, आप क्या मदद कर पाएंगे मेरी? थक गया हूँ इस जिंदगी से। रोज टैक्सी चलाना, यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ… जिंदगी में कोई मजा ही नहीं है।” बाबा ने गहरी आवाज में कहा, “मजा? तूने मेरी यात्रा करवाई, चल मैं तेरी यात्रा करवाता हूँ। जो तू चाहेगा, वही होगा। बोल, है हिम्मत?” विकास के मन में लालच हिलोरें लेने लगा। “हिम्मत तो बहुत है बाबा, लेकिन आप मेरे लिए क्या कर पाओगे?” अघोरी बाबा ने रहस्यमयी ढंग से कहा, “अघोरी को पागल मत समझ। बहुत कुछ है मेरे पास। बहुत सिद्धियां दूंगा तुझे। ऐसी साधना करवाऊंगा तेरे लिए कि सोने-चांदी में खेलेगा तू।” उन्होंने आगे कहा, “अमावस्या की रात, ठीक 12:00 बजे आ जाना।” बड़े-बड़े सपने देखने वाला विकास अघोरी की बातें सुनकर लालच में आ गया और ठीक समय पर उस जगह पर पहुँच गया जहाँ अघोरी ने अपना डेरा जमाया हुआ था। यह काला जादू की कहानी है।
कर्ण पिशाचिनी से समझौता: वासना के कड़वे वचन
शमशान घाट की अंधेरी छाया में, जहाँ अग्नि का तांडव नृत्य चल रहा था, अघोरी बाबा अपनी साधना कर रहे थे। उनकी जटाओं में फूलों की माला थी और शरीर राख से सना हुआ था। विकास को देखकर अघोरी ने कहा, “आ गया बच्चा। अब जैसा मैं कहता हूँ, वैसा कर। आज मैं साधना करूंगा कर्ण पिशाचिनी की। वह यहाँ आएगी और तेरी होकर रहेगी। वह तुझे सब कुछ देगी, सब कुछ। तेरे कान में लोगों के राज बताएगी – क्या हुआ था, क्या होने वाला है, क्या हो चुका है – सब जानती है वह। उससे मिलेंगे तुझे लोगों के राज, और उन राजों को तू लोगों को बताकर करोड़पति बन जाएगा, करोड़पति!”
विकास, दौलत के नशे में चूर, अपने कपड़े उतारकर अघोरी के सामने बैठ गया और अघोरी जैसा कहते रहे, वह वैसे ही मंत्र जाप करने लगा। उसके मन में सिर्फ अमीर बनने का सपना घूम रहा था। तभी विकास के पीछे से, एक साया धीरे-धीरे उसके नजदीक आ गया। वह कर्ण पिशाचिनी थी। उसके लंबे, काले बाल उसके चेहरे को ढक रहे थे, और उसके जिस्म से एक अजीब सी, मादक गंध आ रही थी जो विकास को अपनी ओर खींच रही थी। वह धीरे-धीरे विकास के करीब आई, उसकी साँसें विकास की गर्दन पर महसूस हो रही थीं, जिससे उसके रोंगटे खड़े हो गए।
विकास उसे एक विचित्र सी माला पहनाने वाला था, तभी कर्ण पिशाचिनी ने धीमी, मोहक आवाज में कहा, “रुको। पहले तीन वचन। फिर मैं बनूंगी तुम्हारी। अगर कोई भी वचन तोड़ा, तो सब छिन जाएगा। मैं भी चली जाऊंगी, सारी दौलत चली जाएगी, यहाँ तक कि तुम्हारी जान भी जा सकती है।” विकास का दिल धड़कने लगा।
कर्ण पिशाचिनी की आँखें उसकी आत्मा में झाँक रही थीं, और उसकी मोहक शक्ति विकास को अपने वश में कर रही थी। “मैं वचन देता हूँ,” विकास ने कांपते हुए कहा, “मेरे बारे में तुम किसी को कुछ नहीं बताओगे।” “मैं वचन देता हूँ,” विकास ने फिर कहा, उसकी आवाज में एक अजीब सी उत्तेजना थी, “पत्नी की तरह सिर्फ मुझे ही संतुष्ट करोगे, सिर्फ और सिर्फ मुझे। और वो भी जब भी मैं चाहूं।” कर्ण पिशाचिनी के होंठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान तैर गई, उसकी साँसें और तेज हो गईं। “मैं वचन देता हूँ,” विकास ने तीसरा और आखिरी वचन दिया, “मुझे कभी अनसुना नहीं करोगे, मुझे छोड़कर कभी नहीं जाओगे।”
इतनी बात कहकर विकास ने उसे हड्डियों की एक विचित्र सी माला पहनाई। कर्ण पिशाचिनी ने अपने हाथ आगे किए, तो उसके हाथ में अचानक वैसी ही माला प्रकट हुई। उसने वह माला विकास को पहनाते हुए कहा, “अब मैं तुम्हारी हुई… मरते दम तक।” उसकी आवाज में एक अजीब सा, भयानक आकर्षण था, जो विकास को पूरी तरह से मोह रहा था। यह भूतिया प्रेम कहानी नहीं, बल्कि एक खूनी समझौता था।
दौलत का सैलाब और वासना का अंधापन
विकास अब टैक्सी के पास आकर रुका। कर्ण पिशाचिनी भी उसके साथ खड़ी थी, लेकिन केवल विकास को ही दिख रही थी। तभी एक बड़ी सी कार विकास के पास आकर रुकी। उसके ड्राइवर ने विकास से पूछा, “सर, गोरेगांव जाने के लिए कैसे जाना होगा? मैं रास्ता भटक गया हूँ।” ड्राइवर कुछ कह रहा था, तभी कर्ण पिशाचिनी ने विकास के कान में कुछ कहा, उसकी साँसों की गर्माहट से विकास के पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई, और विकास ने उस गाड़ी के ड्राइवर को कहा, “गाड़ी में मंत्री जी हैं ना? उनसे कहिए, कल कैबिनेट की मीटिंग में उन्हें होम मिनिस्ट्री मिलने वाली है।”
विकास की बातें सुनकर पीछे बैठे मंत्री जी ने कार का शीशा नीचे किया और कहा, “ए, तुम्हें कैसे पता कल कैबिनेट की मीटिंग है और मुझे होम मिनिस्ट्री मिलने वाली है?” विकास ने आत्मविश्वास से कहा, “जैसा बोल रहा हूँ, अगर वैसा हुआ तो इस नंबर पर फोन करिए।”
दूसरे दिन विकास तैयारी करके घर से बाहर निकलने वाला था, तभी कुछ पुलिस वाले विकास के घर पर आए। विकास डर गया, लेकिन कुछ ही वक्त में कल वाले मंत्री जी विकास के सामने आए। उन्होंने एक बैग विकास को देते हुए कहा, “बाबा, बाबा! आपके इस भक्त को आप शरण में ले लो। मैंने कल आपकी बात को ऐसे ही मजाक ले लिया था। मैं एक मामूली सा एमएलए था, आपकी कृपा से आज होम मिनिस्टर बन चुका हूँ। आज से आप जैसा कहोगे, मैं वैसा करने को तैयार हूँ।” एक ओर विकास की पत्नी नेहा यह सब कुछ अचंभित होकर देख रही थी, लेकिन विकास की नजरें कर्ण पिशाचिनी की ओर ही थीं। वह विकास को देखकर मुस्कुरा रही थी, उसकी मुस्कान में एक अजीब सी चमक थी।
जैसे ही मंत्री जी विकास के घर से निकले, तो विकास ने बैग खोला, उसमें एक लाख रुपये कैश थे। यह देखकर विकास ने नेहा से कहा, “देखा? अब हमारी सारी गरीबी खत्म। ये तो कुछ भी नहीं है, अभी तो और आएंगे।” लेकिन नेहा ने विकास की बात काटकर उससे कहा, “लेकिन तुमने ऐसा क्या किया जिससे वो लोग इतना पैसा देकर चले गए?” विकास ने घमंड से कहा, “तुम गुलिया गिनना छोड़ो, आम खाओ आम।” इतना कहकर विकास अपनी टैक्सी लेकर निकल गया।
टैक्सी में विकास के साथ कर्ण पिशाचिनी भी बैठी हुई थी। उसने विकास के कान में कुछ फुसफुसाया, उसकी आवाज में एक अजीब सा सम्मोहन था, और विकास ने एक बंगले के सामने गाड़ी रोकी। उस बंगले के गेट से एक परिवार गाड़ी में सामान रखकर कहीं जा रहा था। तभी विकास ने जोर से चिल्लाते हुए कहा, “मत जाओ! अगर जाओगे तो तुम्हारी मृत्यु निश्चित है। जाना है, तो कल जाना।” यह सुनकर गाड़ी में सामान रखने वाला आदमी गार्ड को बोलता है, “अरे कौन है यह पागल? हटाओ इसे यहाँ से।” तभी उस आदमी की औरत कहती है, “आज सुबह से ही मेरे मन में कुछ डर जैसा लग रहा है, और उसमें यह आदमी अचानक से यहाँ आकर ऐसी बातें कर रहा है। प्लीज आज का प्लान कैंसिल करते हैं।” इतना कहकर वे घर में चले जाते हैं।