पिशाचिनी की कोख: भाग 3 – पिशाचिनी का जाल | Hindi Horror Story
रोहन ने उस लड़की को सारी बात बताई, लेकिन यह झूठ कहा कि एक्सीडेंट उसकी गाड़ी से हुआ था। यक्षिणी ने रोहन से अपनी माँ की लाश को दफ़नाने के लिए कहा। रोहन ने वैसा ही किया। जब वह वहाँ से जाने लगा, तो यक्षिणी ने उसे रात में जंगल में न जाने की सलाह दी। रोहन को यक्षिणी की बात ठीक लगी और उसने वहाँ रुकने का फैसला किया।
यक्षिणी उसे घर के अंदर ले गई। घर अंदर से काफ़ी बड़ा था, लेकिन चारों तरफ़ एक अजीब सा सन्नाटा था। न जाने क्यों रोहन को वहाँ बेचैनी महसूस हो रही थी। यक्षिणी उसे एक कमरे में ले गई। “साहब, आप बहुत भीग चुके हैं। मैं आपके लिए गर्म काढ़ा बनाकर लाती हूँ।”
कुछ देर बाद यक्षिणी एक गर्म, लाल रंग का पेय लेकर आई जो खून जैसा दिख रहा था। “यह जड़ी-बूटियों का काढ़ा है साहब। इसे पीकर आपको आराम मिलेगा।” उस रात काढ़ा पीने के बाद रोहन अपने होश में नहीं था। न जाने उसमें क्या था कि वह यक्षिणी के बहुत करीब चला गया।
अगले दिन सुबह जब उसकी आँख खुली तो यक्षिणी उसके पास नहीं थी। उसने रात की बात याद की जिसे सोचकर वह खुश था। तभी उसकी नज़र यक्षिणी पर पड़ी जो एक मरे हुए कुत्ते का खून पी रही थी। उसकी लाल आँखें, लंबे दाँत और खून से सने हाथ व चेहरा बहुत डरावना लग रहा था।
रोहन की रूह काँप गई। वह डरकर घर के पीछे के दरवाज़े से भागने लगा। उसे वहाँ रुकना ठीक नहीं लगा। वह देर तक भागता रहा लेकिन जंगल से निकलने का रास्ता नहीं मिला। आखिरकार वह थक कर बेहोश हो गया। अगले दिन जब रोहन होश में आया तो वह एक आदमी के घर में था।
“मैं कहाँ हूँ? आप लोग कौन हैं?”
“आज सुबह तुम मुझे जंगल में बेहोश मिले। तुम्हारी हालत बहुत खराब थी इसलिए मैं तुम्हें घर ले आया।”
“वो… वो जंगल में यक्षिणी… वो बहुत डरावनी है,” रोहन ने डरते हुए कहा।
“हाँ, तुम वहाँ क्यों गए थे साहब? वहाँ कोई नहीं जाता। उस जंगल में दो पिशाचिनियाँ रहती हैं। सालों पहले इस गाँव की एक औरत ने पिशाच की पूजा की और उसके साथ संबंध बनाकर उसका अंश पैदा किया। वह पिशाच का अंश कोई और नहीं बल्कि यक्षिणी है।”