पार्ट 9: वो जो वापस नहीं लौटते
रवि ठिठक गया।
उसने टिकट को गौर से देखा — पुराना, पीला पड़ चुका कागज़, और स्याही से लिखा एक रास्ता… बिना वापसी के।
उसका दिमाग घूम गया —
“मैंने तो बस स्टेशन की कहानी सुनने और एक वीडियो बनाने आया था… फिर ये सब मेरे साथ क्यों?”
स्टेशन पर अब कोई नहीं था, लेकिन घड़ी की टिक-टिक साफ़ सुनाई दे रही थी — और वो रुकी नहीं थी।
टिक-टिक… टिक-टिक…
अचानक स्टेशन की लाइटें फिर से झपकने लगीं। रवि ने कैमरा निकाला और रिकॉर्डिंग शुरू की। कैमरे की स्क्रीन में कुछ अजीब नज़र आया — ख़ुद उसका चेहरा… लेकिन पीछे एक परछाईं।
वो पीछे मुड़ा — कुछ नहीं था।
“ये सब क्या है?” उसने खुद से पूछा।
पर तभी लाउडस्पीकर पर एक आवाज़ गूंजी —
“प्लेटफॉर्म नंबर एक पर ट्रेन संख्या 000, आत्माओं के लिए रवाना होने को तैयार है…”
रवि डर से काँपने लगा।
ये ट्रेन क्या उसे लेने आई थी?
तभी एक आदमी उसके पास आया — बूढ़ा, झुका हुआ, आँखों में अजीब सी चमक।
“तुम अब इस जगह के हो। जिनसे यह स्टेशन जुड़ जाता है, वो कभी वापस नहीं जाते,” उसने कहा।
रवि पीछे हटने लगा, लेकिन उसके पाँव जैसे ज़मीन में गड़ गए थे।
बूढ़ा आदमी बोला —
“तुम वो हो जिसे चुना गया है… अगले स्टेशन मास्टर के रूप में।”