[Real Horror Story]अधूरी आत्मा: सरकारी क्वार्टर की खौफनाक रातें

असम के एक क्वार्टर में घटी Real Horror Story in Hindi — रहस्यमयी घटनाएं, एक आत्मा और एक रात जिसने सब कुछ बदल दिया।
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🩸 भाग 8: शाप का द्वार

माँ का हाथ जिस किसी ने पकड़ा था, उसकी पकड़ बर्फ जैसी ठंडी थी। उन्होंने झटके से हाथ छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन वह पकड़ और भी कसती चली गई।

तभी लालटेन की लौ दोबारा जल उठी — लेकिन इस बार उसका रंग लाल था।

सामने खड़ी “क्रिस्टी” की आँखों से खून बह रहा था। उसके चारों ओर काले धुएं की तरह कोई परछाई घूम रही थी। कमरे की दीवारों पर अजीब-अजीब आकृतियाँ उभरने लगीं — त्रिकोण, उल्टी आकृतियाँ, और एक काले पेड़ जैसा कुछ।

नानी घुटनों के बल गिर पड़ीं, “यह वही है… वही आत्मा जो ‘भैरवपुर’ के श्राप से जुड़ी है। मैंने इसे तहख़ाने में क़ैद किया था… लेकिन क्रिस्टी ने उसे फिर से जगा दिया।”

“क्या इससे बचा जा सकता है?” मामा ने पूछा, अब तक उसके चेहरे का रंग उड़ चुका था।

“एक ही तरीका है,” नानी ने कांपती आवाज़ में कहा, “हमें ‘शाप का द्वार’ बंद करना होगा। वह द्वार इस तहख़ाने के नीचे है… जहाँ से आत्मा आई थी।”

तभी ज़मीन से कंपन होने लगा। नीचे से आती हुई एक अजीब सी गूँज सुनाई दी — जैसे किसी ने बहुत गहरी सुरंग में दरवाज़ा खटखटाया हो।

क्रिस्टी ज़ोर से चिल्लाई — लेकिन वह आवाज़ इंसानी नहीं थी। वह किसी जानवर की दहाड़ और बच्चे की चीख़ का अजीब मिश्रण थी।

नानी ने अपनी जेब से एक पुराना ताबीज़ निकाला और कहा, “जिसने यह दरवाज़ा खोला है… अब वही इसे बंद करेगा।”

“तब तो… हमें क्रिस्टी को उस द्वार तक ले जाना होगा?” माँ ने सहमी आवाज़ में पूछा।

“हाँ,” नानी ने गहरी साँस ली, “लेकिन वो अब सिर्फ हमारी बेटी नहीं रही… वो उसका शरीर है, पर आत्मा कुछ और है…”

लालटेन की लौ फिर से फड़फड़ाई। नीचे से एक और दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई।

शाप का द्वार अब खुल चुका था।

[Real Horror Story in Hindi keअगले भाग में जारी रहेगा — क्या वे आत्मा को रोक पाएँगे? या फिर भैरवपुर का शाप अब सबको निगल जाएगा?जानने के लिए पढ़ें Next Page 9]

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