कहानी: रात का सन्नाटा: एक horror adventure की रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तान
ये कहानी मेरी और मेरे तीन दोस्तों की है—आकाश, सिमरन, और गौरव। हम सब कॉलेज के दोस्त थे, जो दिल्ली की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से कुछ दिनों के लिए ब्रेक चाहते थे। बोरिंग रूटीन से हटकर, हमने कुछ एडवेंचरस करने का प्लान बनाया। आकाश, जो हमेशा से एडवेंचर का शौकीन था, ने सुझाव दिया कि हमें उत्तराखंड के पास के एक फॉरेस्ट एरिया में कैंपिंग के लिए जाना चाहिए।
“यार, सोचो,” आकाश ने अपनी आवाज़ में उत्साह भरते हुए कहा, “जंगल की खामोशी, बॉनफ़ायर की गर्माहट, तारों भरी रातें और प्रकृति के बीच खुलकर जीना… मज़ा आ जाएगा! थोड़ी शराब भी पी लेंगे, बस हम चारों, कोई डिस्टर्बेंस नहीं।”
हम सबको यह आइडिया बेहद पसंद आया। अगले ही हफ़्ते हमने अपनी पूरी तैयारी कर ली: टेंट, खाने-पीने का सामान, टॉर्चें, फ़र्स्ट-एड किट और हाँ, थोड़ी शराब भी। हमने उत्तराखंड के पास के एक शांत और आइसोलेटेड जंगल का रुख़ किया। वहाँ पहुँच कर लगा जैसे हम किसी और ही दुनिया में आ गए हों – चारों तरफ़ घना जंगल, पेड़ों की धीमी सरसराहट, और हवा में मिट्टी व देवदार की ताज़ी महक। यह हमारे लिए एकदम परफेक्ट गेट-अवे था। ईमानदारी से कहूँ तो, वहाँ की शांति बेहद सुकून देने वाली थी।
पहला दिन: सुकून की आहट – Real horror story in hindi
पहले दिन सब कुछ परफेक्ट था। हमने एक सुंदर स्पॉट चुना, एक छोटी सी नदी के पास, जहाँ से पहाड़ियों का नज़ारा भी दिखता था। दिन भर हमने जंगल एक्सप्लोर किया, ढेर सारी तस्वीरें लीं, और मिलकर खाना बनाया। शाम ढलते ही हमने लकड़ियाँ इकट्ठी कीं और बॉनफ़ायर जलाया। आग की लपटें अँधेरे में नाच रही थीं, और हम सब उसके पास गोला बनाकर बैठ गए, पुरानी यादें ताज़ा करने और भूतों की कहानियाँ सुनाने के लिए।
गौरव हमेशा की तरह माहौल को हल्का रखने की कोशिश कर रहा था, अपने मज़ाकिया अंदाज़ में। आकाश ने अपनी आवाज़ को जानबूझकर गंभीर बनाते हुए एक पुरानी चुड़ैल की कहानी छेड़ दी। “लोग कहते हैं,” उसने फुसफुसाते हुए कहा, “इस जंगल के अंदर एक काली छाया रहती है। जो उससे मिलता है, वो कभी वापस नहीं आता।”
“हाँ-हाँ,” गौरव ने हँसते हुए टोक दिया, “और वो आत्मा तुझे अभी यहाँ से उठा ले जाएगी! रहने दे आकाश, ये पुरानी कहानियाँ अब काम नहीं आतीं।” हम सब ज़ोर से हँस पड़े, लेकिन मुझे अंदर ही अंदर एक अजीब सी सिहरन महसूस हुई। ये जंगल इतना खामोश था कि कभी-कभी अपनी साँस की आवाज़ भी साफ सुनाई दे रही थी। और हाँ, अगर मैं सच कहूँ, तो लकड़ियों के जलने के अलावा, मुझे सिर्फ़ अपनी साँस की और हवा की एक अजीब सी सरसराहट सुनाई दे रही थी, जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं की थी। शायद यह शराब का असर था, पर एक अनजाना डर मन में घर करने लगा था।
कहानियाँ ख़त्म होने के बाद, हम सभी अपने-अपने टेंट में सोने चले गए।
रात का साया: जब गौरव ग़ायब हुआ
रात के एक या दो बज रहे होंगे, जब मुझे अचानक बाथरूम जाने की ज़रूरत महसूस हुई। मैं टेंट से बाहर निकला और जंगल के किनारे, जहाँ थोड़ा खुला था, वहीं चला गया। जब मैं वापस लौट रहा था, तो मैंने देखा कि गौरव का टेंट का फ्लैप खुला था, और अंदर कोई नहीं था। सिमरन, जो पास के टेंट में थी, ने मुझसे धीमे से कहा, “शायद बाथरूम गया होगा वह। इतनी रात में अक्सर जाता है।” मैंने उस समय ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
लेकिन, पंद्रह मिनट बीत गए। फिर आधा घंटा। और फिर एक घंटा। गौरव अभी तक वापस नहीं आया था। अब हम तीनों के मन में चिंता घर कर चुकी थी। आकाश ने कहा, “कुछ गड़बड़ है। हमें उसे ढूँढना चाहिए।” हम तीनों ने अपनी टॉर्चें उठाईं और जंगल के अँधेरे में गौरव को तलाश करने निकल पड़े।
मैं बार-बार गौरव का नाम चिल्लाता रहा, “गौरव! गौरव, कहाँ हो तुम?” लेकिन जंगल से बस एक अजीब सी गूँज वापस लौट कर आ रही थी, और न ही वह गौरव की आवाज़ थी। जंगल का रात का मौसम इतना ठंडा और भारी था कि हर एक आवाज़, यहाँ तक कि हमारे पैरों के नीचे पत्तियों की सरसराहट भी, एक क्रीपी एहसास दे रही थी। सिमरन काँप रही थी, और मुझे भी अंदर से एक अजीब सी फीलिंग आ रही थी, जैसे हमारे साथ कुछ बहुत बुरा होने वाला था। हवा में एक अजीब सी गंध थी, जैसे पुरानी मिट्टी और कुछ सड़े हुए पत्तों की। टॉर्च की रोशनी में पेड़ और भी डरावने लग रहे थे, उनकी शाखाएँ किसी कंकाल की बाहों जैसी दिख रही थीं।
एक अनसुलझी पहेली: गौरव की हुडी – Real horror story in hindi
हम लगभग बीस मिनट से जंगल में भटक रहे थे, जब हमारी टॉर्च की रोशनी एक अजीब चीज़ पर पड़ी। जंगल के बीच में, एक ऊँचे पेड़ की टहनी से कुछ लटक रहा था। जैसे ही हम करीब पहुँचे, हमारी साँसें थम गईं। वह गौरव की हुडी थी!
“ये कैसे हो सकता है?” सिमरन ने काँपते हुए कहा, “गौरव की हुडी इतनी ऊपर कैसे पहुँची पेड़ पर?” यह सच में अजीब था। पेड़ की टहनी इतनी ऊँची थी कि कोई उसे यूँ ही उछालकर वहाँ तक नहीं पहुँचा सकता था। आकाश ने जैसे-तैसे करके एक लंबी टहनी की मदद से उस हुडी को नीचे गिराया। “शायद उसने गलती से ऊपर फेंक दिया होगा,” आकाश ने तर्क देने की कोशिश की, पर उसकी आवाज़ में भी विश्वास नहीं था।
मुझे आकाश का यह जवाब बिल्कुल भी लॉजिकल नहीं लग रहा था। हुडी का इतना ऊपर होना, इतना ज़्यादा अजीब लग रहा था कि मुझे एक पल को लगा शायद गौरव हमारे साथ मज़ाक कर रहा है, हमें डराने की कोशिश कर रहा है। मैंने एक और बार चिल्ला कर कहा, “गौरव! मज़ाक बहुत हो गया यार! चल, अब वापस आ जाओ!”
लेकिन दोबारा से वहाँ सिर्फ़ एकांत था, और कोई भी आवाज़ वापस नहीं आ रही थी। केवल हवा की एक धीमी सरसराहट थी, जो पेड़ों की पत्तियों से गुज़रती हुई एक सिसकने जैसी लग रही थी। हमारे पैरों के नीचे सूखी टहनियाँ चरमराहट की आवाज़ कर रही थीं, जो सन्नाटे को और भी गहरा बना रही थीं। Real horror story in hindi
सामने आई परछाई: जब साँसें थम गईं
हम लोग धीरे-धीरे करके आगे बढ़े और एक खुली जगह पर पहुँचे। वहाँ एक अजीब सी ठंडी हवा चल रही थी, जो हमें अंदर तक कंपा रही थी। बिना किसी वजह, मुझे वहाँ एक असहनीय डर महसूस होने लगा था। मुझे लगा जैसे किसी की आँखें हमें देख रही हों, भले ही आसपास कोई न हो।
तभी सिमरन ने अपने हाथों से मेरा कंधा पकड़ा और उसकी आवाज़ मुश्किल से सुनाई दे रही थी, “साहिल… वो… वो क्या है?” उसने पेड़ के पीछे कुछ देखा था। मैंने अपनी टॉर्च उस दिशा में की।
और सच कहूँ तो, मुझे यह नहीं करना चाहिए था।
जैसे ही मेरी टॉर्च की रोशनी वहाँ पड़ी, मेरी साँसें अटक गईं। मैं अपनी ही जगह पर जम गया। मैंने एक काली, लंबी परछाई देखी, एक आदमी के साइज़ की, लेकिन बिना किसी चेहरे की। उसकी कोई आकृति नहीं थी, बस एक घना काला साया जो अँधेरे में भी ज़्यादा गहरा दिख रहा था। उसकी कोई रूपरेखा नहीं थी, कोई पहचान नहीं थी, बस एक काली, भयानक मौजूदगी। मुझे पता है कि यह कहना भी पागलपन लगता है, पर मुझे यक़ीन है मैंने क्या देखा।
मेरी आवाज़ नहीं निकल रही थी। बस एक फुसफुसाहट में मेरे मुँह से निकला, “भागो… यहाँ से!” मेरी यह बात सुनते ही आकाश जो मेरे पीछे था, वापस मुड़ा और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा, “भागो! भागो!” और वो तेज़ी से वापस कैंप की तरफ़ भागा।
भागते हुए मुझमें बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी पीछे देखने की, लेकिन मैं अपनी पीठ पर उस छाया की मौजूदगी महसूस कर पा रहा था। मेरी धड़कनें बस बढ़ती ही जा रही थीं, शायद भागने की वजह से भी, पर ज़्यादातर उस भयानक परछाई के कारण। मुझे लगा जैसे उसकी ठंडी, अदृश्य साँसें मेरे कानों के पास से गुज़र रही हों।
कैंप का अस्त-व्यस्त हाल और अनसुलझा डर

सिर्फ़ अपने कैंप के पास पहुँचने पर ही मेरे पैर रुके। लेकिन, हमारा कैंप बिल्कुल अस्त-व्यस्त हो गया था, जैसे किसी ने सब कुछ तोड़ दिया हो। टेंट उखड़ गए थे, सामान बिखरा पड़ा था, और बॉनफ़ायर की आग लगभग बुझ चुकी थी, बस कुछ चिंगारियाँ ही बची थीं। सिमरन एक कोने में बैठकर सिसक-सिसक कर रो रही थी, और आकाश अपनी साँसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा था, उसका चेहरा पीला पड़ चुका था।
“मुझे लगता है कि वो चुड़ैल थी!” सिमरन ने रोते हुए कहा, “आकाश, तुम्हारी कहानी सच में सच थी क्या?”
आकाश ने कहा, “अरे नहीं सिमरन, मैं तो तुम सबको बस डराने के लिए बता रहा था। तुम इन सब चीज़ों पर विश्वास नहीं करती हो, है ना?” आकाश उसे तसल्ली देने की कोशिश कर रहा था, पर उसकी आवाज़ में भी डर साफ़ झलक रहा था।
“तो फिर वो क्या था?” सिमरन ने बहुत ज़्यादा कंसर्न आवाज़ में मुझसे कहा। और सच बात कहूँ तो, मुझे भी कहीं न कहीं यही लग रहा था कि यह कोई मज़ाक नहीं था।
जैसे ही मैंने होश संभाला, मैंने आकाश से पूछा, “यार, गौरव ठीक तो होगा ना? मुझे उसकी बहुत ज़्यादा चिंता हो रही है।”
रात भर हम कैंप के बचे-खुचे दायरे में बैठे रहे, एक-दूसरे से सटे हुए। जैसे-तैसे करके मैंने कुछ सूखी लकड़ियाँ जमा की थीं और आग फिर से जला दी थी। और सच बताऊँ, तो रात के उस अँधेरे में यही आग हम तीनों को थोड़ी सी हिम्मत और हौसला दे रही थी। मैं बार-बार बीच-बीच में उसका नाम चिल्लाता रहा, “गौरव! गौरव!” लेकिन आकाश ने कभी भी वापस जवाब नहीं दिया।
हमें भी नहीं पता था कि हमें इस सिचुएशन में क्या करना चाहिए था। हम उस पॉइंट पर बाहर निकल भी नहीं सकते थे, क्योंकि हमें जंगल से बाहर का रास्ता नहीं पता था, और ठीक से गाड़ी चलानी सिर्फ़ आकाश को ही आती थी। तो हम वहाँ से बाहर भी कैसे निकलते? मैंने सोचा, इस सिचुएशन को और ज़्यादा ख़राब नहीं करते हैं, और इस समय के लिए अभी हम कैंप में ही रुक जाते हैं। सिमरन तो जैसे-तैसे करके डर के मारे सो गई थी, लेकिन मैं और आकाश बिल्कुल भी सो नहीं पाए थे, और हम लोग बस सुबह होने का इंतज़ार कर रहे थे। हर आहट हमें चौंका देती थी, हर परछाई में हमें वही काली आकृति दिखती थी।
सुबह का सूरज और अनसुलझा रहस्य- Real horror story in hindi
अगले दिन जैसे ही सुबह हुई, सूरज की पहली किरणें जंगल में फैलीं, तो हमें थोड़ी हिम्मत मिली। हमने तुरंत फैसला किया कि सबसे पहले हम लोग वापस जाकर पुलिस को सब कुछ सच-सच बता देंगे। “हमने कुछ ग़लत नहीं किया,” सिमरन ने मुझसे कहा, “हमें उन्हें सब कुछ बताना चाहिए।” और मैं भी सहमत था।
हम लोग जंगल से बाहर निकले। रास्ता वैसा नहीं था जैसा हम आए थे, पर किसी तरह कुछ पुराने फ़ुटस्टेप्स और टूटी टहनियों को देखकर हम जंगल से बाहर आ गए। वहाँ से हमने तुरंत पुलिस को बुलाया और उन्हें अपने साथ जंगल वापस लाए। जब पुलिस फ़ोर्स को यह रियलाइज़ हुआ कि हम लोग मज़ाक नहीं कर रहे हैं—ख़ासकर हमारे अस्त-व्यस्त कैंप और हमारे डरे हुए चेहरों को देखकर—तो वे भी बहुत सीरियस हो गए। उन्होंने तुरंत और फ़ोर्सेस बुलाईं और हमें जंगल के बाहर ही रहने को कहा।
पुलिस गौरव को ढूँढने लगी, और शुक्र है कि उन्हें गौरव मिल गया था। लेकिन, वैसी हालत में नहीं जैसा हमें गौरव याद था। गौरव बहुत ही ज़्यादा ठंड में था और उसकी बॉडी पूरी गीली थी, जैसे उसे किसी ठंडे पानी में डुबोया गया हो। उसके कपड़े एकदम इंटैक्ट थे, बस उसकी हुडी नहीं थी, जो अब हमारे पास थी। पर हाँ, उसकी बाईं तरफ़ की पैंट पूरी फटी हुई थी, जो बहुत अजीब था, क्योंकि उसके पैर बिल्कुल ऐसे लग रहे थे जैसे वह भागा ही न हो, या फिर जंगल में चला ही न हो। कोई खरोंच नहीं, कोई मिट्टी नहीं, बस पैंट फटी हुई। Real horror story in hindi
गौरव को जल्द से जल्द हॉस्पिटल ले जाया गया, और फिर जब उसे होश आया, तो हमने उससे पूछा कि आख़िर उसके साथ हुआ क्या था। लेकिन, हमारे और उसके अपने भी आश्चर्य के लिए, उसे उस रात के एनकाउंटर से कुछ भी याद नहीं था। उसे याद नहीं था कि वह कहाँ गया था, कैसे वहाँ पहुँचा, या उसके साथ क्या हुआ था।
हमने गौरव को बताया, “तुम्हें आख़िरी चीज़ क्या याद है?”
उसने हमसे कहा, “मैं किसी पेड़ के पास पर सूसू कर रहा था, और फिर मैंने बहुत दूर एक परछाई देखी… बस, उसके बाद मुझे कुछ भी याद नहीं है।”
अब यह सिर्फ़ एक संयोग नहीं हो सकता था। हमें लगता है कि उस रात हम अपनी मौत से बचकर निकले थे। सिमरन ने उसके बाद से हमसे दोस्ती तोड़ ही दी थी। वह उस रात के अनुभव से इतनी सहम गई थी कि उसने शहर छोड़ दिया और आज तक हमसे संपर्क में नहीं है। लेकिन मैं, आकाश और गौरव अभी भी एक-दूसरे से मिलते रहते हैं।
आपके लिए, दोस्तों, इस कहानी का अंत शायद बहुत ही एंटी-क्लाइमेक्टिक हो। शायद आप उम्मीद कर रहे होंगे कि हमें पता चलता कि वह परछाई कौन थी, या गौरव को क्या हुआ था। लेकिन सच तो यह है कि आज भी वो दिन हम तीनों के दिमाग़ से छूट नहीं पाया है। हमें आज भी नहीं पता कि उस रात क्या हुआ था, वह काली परछाई कौन थी, या गौरव को उस अँधेरे में क्या अनुभव हुआ था। हम बस इतना जानते हैं कि हम बच गए। मैं बस ख़ुश हूँ कि हम सब सुरक्षित हैं। पर वो सवाल, वो अनसुलझा रहस्य… वो आज भी हमें haunted करता है।
कैसी लगी दोस्तों ये रियल हॉरर स्टोरी इन हिंदी? क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कुछ डरावना हुआ है? मुझे कमेंट्स में ज़रूर बताना!