भाग 1: अजनबी गाँव – real hindi horror story
हम चार दोस्त – आदित्य, रोहित, तान्या और निधि – कॉलेज के बाद पहली बार कहीं साथ बाहर जा रहे थे। शहर की भागदौड़ और थकान से दूर, बस दो-तीन दिन के लिए कुछ सुकून की तलाश थी।
रास्ता पहाड़ी था और मौसम कुछ ज़्यादा ही शांत। बादल नीचे उतर आए थे और सड़कें सुनसान थीं।
“यार, ऐसे मौसम में ट्रैकिंग करना तो एकदम परफेक्ट है,” रोहित बोला।
हमने GPS पर एक छोटी सी जगह देखी – नाम थोड़े धुँधले अक्षरों में लिखा था, “भैरवपुर”। नाम कुछ अलग लगा, लेकिन Google पर ज़्यादा कुछ मिला नहीं।
“चलो देख लेते हैं। ऑफबीट जगह है, भीड़ नहीं होगी,” आदित्य ने गाड़ी उस ओर मोड़ दी।
सड़क पतली होती जा रही थी और सिग्नल धीरे-धीरे गायब।
करीब आधे घंटे बाद हम एक सुनसान मोड़ पर पहुँचे, जहाँ से एक टूटी-फूटी कच्ची सड़क जंगल की तरफ जाती थी।
“ये जगह सही नहीं लग रही,” निधि ने पहली बार कुछ कहा। उसकी आवाज़ में हिचकिचाहट थी।
लेकिन हम आगे बढ़ते गए।
कुछ किलोमीटर अंदर जाने के बाद एक छोटा सा गाँव दिखा। पुरानी मिट्टी की दीवारें, जगह-जगह गिरे हुए छप्पर और कंटीली झाड़ियाँ… हर तरफ अजीब सा सन्नाटा फैला था।
कोई इंसान दिखाई नहीं दे रहा था। हवा बहुत धीमी थी, लेकिन उसमें एक अजीब सी गंध घुली थी — जैसे कुछ सड़ रहा हो।
“लगता है ये गाँव कई सालों से छोड़ दिया गया है,” तान्या ने फुसफुसाकर कहा।
हमने गाड़ी एक सूखे पीपल के पेड़ के नीचे रोकी। आसपास कोई चिड़िया तक नहीं चहचहा रही थी।
हम धीरे-धीरे गाँव के भीतर बढ़ने लगे। लकड़ी के कुछ दरवाज़े हवा से हल्के-हल्के हिल रहे थे।
फिर हम एक झोंपड़ी के पास पहुँचे। उसका दरवाज़ा आधा खुला था। आदित्य ने आगे बढ़कर खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। उसने धीरे से दरवाज़ा खोला।
भीतर घना अंधेरा था।
हवा के साथ एक ठंडी सी लहर अंदर से बाहर आई — जैसे बहुत दिनों से बंद कमरे की साँस हो।
“कोई है?” रोहित ने आवाज़ लगाई।
कोई उत्तर नहीं।
हमने मोबाइल की टॉर्च ऑन की। अंदर दीवारों पर अजीब से निशान थे — जैसे किसी ने उँगलियों से मिट्टी में कुछ खरोंचा हो।
और तभी…
हमें लगा जैसे भीतर कोई साँस ले रहा हो। बहुत हल्की, लेकिन स्पष्ट।
हम सब रुक गए।
सांसें तेज़ होने लगीं। दिल की धड़कनें अब कानों में सुनाई दे रही थीं।
फिर…
अचानक झोंपड़ी के पिछले हिस्से से एक हल्की खड़खड़ाहट की आवाज़ आई।
हम सबने एक-दूसरे की तरफ देखा। कोई कुछ नहीं बोला।
वो आवाज़… धीरे-धीरे हमारी ओर बढ़ रही थी।