Flat Number 704 – एक अनकही सच्चाई – REal Horror Story in Hindi

पुणे के एक फ्लैट नंबर 704 में रहने की सच्ची कहानी, जहाँ हर रात कुछ अनदेखा घटता है। जानिए इस real horror story in hindi में क्यों हर किराएदार वहाँ से भाग जाता है।
real horror story in hindi
0
(0)

🕯️ “ये जो कहानी मैं बताने जा रहा हूँ, ये कोई बनाई हुई बात नहीं है… ये मेरे साथ सच में हुई थी। और शायद आज भी वो आत्मा वहीं है… फ्लैट नंबर 704 में।”– Real horror Story in hindi

मेरा नाम आकाश वर्मा है। मैं मूल रूप से दिल्ली से हूँ लेकिन दो साल पहले नौकरी के चलते पुणे शिफ्ट हुआ था। IT कंपनी में जॉब करता हूँ और जब ऑफिस ने वर्क फ्रॉम ऑफिस फिर से चालू किया, तो मुझे एक रेंटेड फ्लैट लेना पड़ा।

जगह चाहिए थी जो ऑफिस के पास हो और ज़्यादा भीड़-भाड़ ना हो। प्रॉपर्टी एजेंट ने एक सोसायटी दिखाई – “Sai Elegance, Kharadi.” जगह एकदम परफेक्ट थी, 7th फ्लोर का 1BHK फ्लैट – नंबर 704

एजेंट ने बस एक बात कही थी जाते वक़्त, “थोड़ा समय बीता है यहाँ कोई रहा नहीं, इसलिए हो सकता है आपको थोड़ी अलग-सी फीलिंग आए शुरू में… लेकिन सब बढ़िया है।


शिफ्टिंग के पहले दिन ही मुझे थोड़ी अजीब सी ठंडक महसूस हुई थी फ्लैट में। नॉर्मल गर्मी के बावजूद अंदर घुसते ही ऐसा लगा जैसे AC ऑन है।

पहली रात ठीक-ठाक गुज़री, लेकिन दूसरे दिन से चीज़ें बदलने लगीं।

रात को बाथरूम का नल अपने आप चालू हो जाता, किचन की लाइट जो मैं खुद बंद करता – सुबह जलती मिलती।

मैंने सोचा शायद मैं ही भूल रहा हूँ या थकावट की वजह से ये सब लग रहा है।


उस रात मैं अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था, लगभग 1:30AM का टाइम रहा होगा। अचानक हॉल से किसी औरत के पैरों की हल्की आहट आई – जैसे नंगे पैर फर्श पर घसीटते हुए चल रही हो।

मैंने झट से दरवाज़ा खोला – कोई नहीं

लेकिन… वहां पानी के गीले निशान थे। जैसे किसी ने गीले पैर से चलकर अभी-अभी गुज़र कर कदम रखे हों।

सच बताऊं, उस वक्त मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे। लेकिन फिर भी खुद को समझाया – “शायद कोई ऊपर वाले फ्लैट से पानी गिरा हो।”


मैंने अगली रात अपने फोन का कैमरा सेट कर दिया – टाइमलैप्स मोड में। कैमरे को बेडरूम और हॉल की दिशा में सेट किया और सो गया।

सुबह देखा तो वीडियो में 2:41AM पर हॉल की लाइट ऑन होती है, फिर एक परछाई – एक लम्बी, बाल बिखरे हुए, औरत की परछाई – कैमरे के ठीक सामने से गुज़रती है… बिना किसी आवाज़ के।

पर ये सब होते हुए कमरे में कोई आवाज़ नहीं थी, कोई हलचल नहीं – सिर्फ वो परछाई।

मैंने उसी वक्त ऑफिस से छुट्टी ली और बाहर ही रहा दो दिन।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *