नमस्कार दोस्तों,
वाराणसी, जिसे काशी भी कहा जाता है, आध्यात्मिकता और रहस्य से भरा एक ऐसा शहर है जहाँ हर घाट, हर गली और हर मंदिर अपनी एक कहानी कहता है। इन कहानियों में से कुछ पौराणिक होती हैं और कुछ लोकगाथाएं — जिन्हें स्थानीय लोग पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाते और जीते आए हैं।
आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ही घाट की, जिसका नाम है ब्रह्मघाट। ये घाट आज शायद उतना प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन लगभग 35 साल पहले यहाँ से जुड़ी एक ऐसी कहानी ने लोगों को अंदर तक हिला कर रख दिया था, जिसे कुछ लोग अफवाह मानते थे लेकिन कुछ लोगों के लिए ये एक सच्ची चेतावनी थी। इस कहानी का केंद्र हैं — रतन जी।

रतन जी और उनका नया घर – Horror Story in hindi
रतन जी वाराणसी में अपने परिवार के साथ सुखद जीवन व्यतीत कर रहे थे। उनकी उम्र करीब 45 साल रही होगी, जब उन्होंने यह निश्चय किया कि अब एक नया घर बनवाया जाए। पुश्तैनी मकान में रह रहे थे, लेकिन अब वो कुछ अलग और खास करना चाहते थे। उनके पास ब्रह्मघाट के आसपास ज़मीन थी और वहीं उन्होंने घर बनाने की योजना शुरू की।
काम शुरू हुआ। मजदूर लगे, ईंट-पत्थर का काम चालू हुआ। दिनभर का काम चलता और शाम को निर्माण स्थल पर मलबा इकट्ठा हो जाता, जिसे हटाना ज़रूरी था। अक्सर मजदूर इसे घाट के किनारे फेंक देते। पर जब वो देर से थक कर जाते, तो ये काम अधूरा रह जाता। रतन जी को यह बात नागवार गुज़री। उन्होंने सोचा कि काम की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। और फिर, एक रात, उन्होंने खुद ही मलबा उठाकर घाट पर फेंकने का निश्चय किया।
रहस्यमयी रात – Ghost stories in hindi
रात के करीब ढाई बजे, जब पूरा शहर नींद में डूबा था, रतन जी एक बड़ी बाल्टी लेकर खुद ही मलबा उठाने निकल पड़े। सात-आठ चक्कर लगाए उन्होंने। हर बार बाल्टी में मिट्टी भरते और घाट पर जाकर उसे खाली करते। जब काम पूरा हो गया, तो घाट के पास जाकर हाथ धोने लगे। तभी बिजली चली गई। उस समय घाट पर कोई स्ट्रीट लाइट नहीं थी। चारों ओर अंधेरा था, और उस पर उस रात अमावस्या भी थी।
रतन जी ने अपने बचपन में ब्रह्मघाट से जुड़ी कहानियां सुनी थीं, पर उन्होंने कभी उन पर विशेष ध्यान नहीं दिया। लेकिन उस रात जैसे ही अंधेरा घना हुआ, एक डर सी लहर उनके शरीर में दौड़ गई।
पहला संकेत – horror story in hindi
जब वो घाट से निकलने लगे, उन्हें पीछे से कदमों की आहट सुनाई दी। उन्होंने पलटकर देखा, लेकिन कोई नहीं था। फिर एक जानी-पहचानी आवाज़ आई — उनके बचपन के दोस्त की, जो वर्षों पहले कहीं और बस चुका था।
“अरे रतन, सुन न…”
रतन जी फिर पलटे। पर सामने कोई नहीं था।
अब आपको एक रहस्य की बात बताते हैं — कहा जाता है कि जब कोई आवाज़ सुनसान जगह पर नाम लेकर बुलाए, तो तुरंत पलटकर नहीं देखना चाहिए। ये “निशिल डाक” या छलावा हो सकता है। ऐसे दैवीय तत्व सिर्फ तीन बार बुलाते हैं। अगर आपने तीन बार उनकी आवाज़ पर पलटकर देख लिया, तो उनका प्रभाव आप पर हो सकता है।
रतन जी दो बार पलट चुके थे। अब उन्हें डर लगने लगा। उन्होंने तेजी से अपने घर की ओर जाना शुरू किया, लेकिन उन्हें हर कदम पर किसी की परछाई और आहट महसूस हो रही थी।
अजीब झटका और बदलता व्यवहार

घर पहुंचते ही रतन जी जैसे ही अपने कमरे में घुसे, उन्हें एक जबरदस्त झटका लगा और वे ज़मीन पर गिर पड़े। उनके सिर से खून बहने लगा। परिजन दौड़े और उन्हें उठाया। प्राथमिक उपचार दिया और सुबह होते ही डॉक्टर के पास ले गए। वहां मामूली इलाज हुआ और डॉक्टर ने कहा — “थकावट की वजह से होगा।”
पर अगला दिन जैसे डरावने दृश्यों की शुरुआत थी।
रतन जी दिनभर सोते रहे, खाना-पीना नहीं लिया। आंखें लाल और चेहरा शांत। रात हुई, फिर भी वह एक ही जगह बैठे रहे — बिना पलक झपकाए, बिना कुछ बोले।
तीन दिन बीते। न भोजन, न जल। बस एक ही जगह पर बैठे रहना। एकटक हवा में देखना। अब परिवार घबरा गया।
ब्रह्मराक्षस का साया?
पड़ोसी जब आए और उन्होंने ये बात सुनी कि रतन जी रात को ब्रह्मघाट पर अकेले गए थे, तो वह चौंक गए।
“क्या? ब्रह्मघाट? और वो भी रात को?”
एक बुज़ुर्ग पड़ोसी बोले — “ब्रह्मघाट में ब्रह्मराक्षस का वास है। वो स्थान पवित्र है। वहाँ पर रात को जाना और वहाँ गंदगी या कचरा फेंकना, ब्रह्मराक्षस का अपमान होता है। अगर उसने पुकारा और आपने पलटकर देखा, तो वह आपको पकड़ सकता है।”
अब सभी के होश उड़ गए।
समाधान: क्षमा और समर्पण
रतन जी का हाल दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा था। उनकी चेतना जैसे खत्म हो गई थी। तब परिवार ने एक सिद्ध संत को बुलाया। संत ने देखते ही कहा — “ब्रह्मराक्षस बाधा है। इसका एक ही उपाय है — क्षमा मांगो। उसे स्थान दो। तभी वह छोड़ सकता है।”
पूरा परिवार ब्रह्मघाट गया। वहां पूजा की गई, नारियल चढ़ाया गया और वादा किया गया कि रतन जी के नए घर में ब्रह्मराक्षस के लिए एक छोटा-सा स्थान बनेगा — एक दीपक, एक घंटा और प्रतिदिन पूजन।
यह सब करने के कुछ ही समय बाद रतन जी सामान्य होने लगे।
आज की सीख
आज रतन जी 70 वर्ष के हैं। स्वस्थ हैं, और एक सामान्य जीवन जी रहे हैं। लेकिन उस रात को जब याद करते हैं, तो आज भी उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
- रात के समय किसी भी पवित्र स्थान पर जाने से बचें।
- बिना जाने, किसी भी स्थान को गंदा न करें।
- लोककथाओं को हमेशा मज़ाक न समझें। कई बार उनके पीछे सच्चाई होती है।
- किसी भी शक्ति को कमजोर न समझें — विशेषकर वो, जो देखी नहीं जा सकतीं।
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