मुंबई में कसारा घाट की रात – Real Horror Story in hindi

मुंबई से नासिक जाते समय एक पिता-पुत्र की कार कसारा घाट में भटक गई, जहां हर मोड़ पर मौत छुपी बैठी थी। जानिए एक सच्ची डरावनी रात की पूरी कहानी, जिसमें सफेद साड़ी, खून से सने हाथ और बिना सिर वाली औरत अब भी इस रास्ते में भटकती है...
real horror story in hindi
0
(0)

प्रस्तावना – जब रास्ते अपनी कहानी खुद सुनाते हैं – Horror Story in hindi

भारत एक ऐसा देश है जहां हर गली, हर मोड़, हर घाट किसी न किसी कहानी को अपने भीतर छुपाए बैठा है। कुछ रास्ते केवल यात्रा के लिए नहीं होते — वे इतिहास, दर्द और अधूरी आत्माओं की याद लिए हुए चलते हैं। ऐसा ही एक रास्ता है कसारा घाट, जो मुंबई और नासिक के बीच स्थित है।

इस 20 किलोमीटर लंबे घाट के बारे में आपने शायद सुना हो। लेकिन जो बात सुनने लायक है, वो है वह कहानी जो इस रास्ते से गुजरते हुए लोगों के साथ घटती है… और कभी-कभी… उनके साथ ही खत्म हो जाती है।


अंधेरी का परिवार और अचानक आया एक फ़ोन कॉल

मोहन एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति था, जो अंधेरी, मुंबई में अपनी पत्नी और माता-पिता के साथ रहता था। परिवार का मूल गांव नासिक के पास था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वे वहाँ जाना छोड़ चुके थे — ज़िन्दगी की आपाधापी, नौकरी की व्यस्तता और समय की कमी ने गाँव की यादों को कहीं कोने में धकेल दिया था।

एक शाम, जब मोहन ऑफिस से लौटा ही था, उसके पिता काजी को एक फोन कॉल आया। गाँव से किसी रिश्तेदार का कॉल था। फ़ोन के दूसरी तरफ से आवाज़ आ रही थी —

“भाईसाहब, इस बार गाँव में हवन है। पूरे कुल के लोग इकट्ठा हो रहे हैं। आपको भी आना है, और आज ही निकलना पड़ेगा।”

काजी ने मोहन से कहा, “बेटा, इस बार चलते हैं। हर बार टाल देते हैं, लेकिन अब ज़रूरी हो गया है।”

मोहन ने थक कर जवाब दिया, “पापा, अभी बहुत काम है। कंपनी में नया प्रोजेक्ट है। आप अकेले चले जाइए इस बार।”

यह सुनते ही मोहन की माँ ने नाराज़ होकर कहा, “हमेशा यही बहाना… जाओ अपने पिता के साथ! एक दिन की बात है!”

मोहन को झुकना पड़ा। वह मान गया, लेकिन यह तय किया कि माँ और पत्नी साथ नहीं जाएंगी। वे दोनों घर पर ही रहेंगी।


रात का सफर और कसारा घाट की ओर बढ़ता कदम

real horror story in hindi
real horror story in hindi

रात के तकरीबन 11 बजे मोहन और काजी ने सफर शुरू किया। गाड़ी में पुराने गानों की धीमी धुन चल रही थी, बाहर सड़कों पर सन्नाटा था। कभी-कभार कोई ट्रक या बस सामने से निकलती तो हेडलाइट्स की रोशनी अंधेरे को कुछ पल के लिए चीरती थी।

रास्ता सुनसान था, हवा में नमी थी — जैसे बारिश हाल ही में होकर गई हो। पहाड़ी रास्ते पर घुमावदार मोड़ और पत्तों की सरसराहट ने माहौल को और रहस्यमय बना दिया था।

मोहन चुपचाप गाड़ी चला रहा था। आँखें थकी हुई थीं, दिमाग उलझा हुआ — “क्यों निकले इतनी रात को? यही सब सुबह किया जा सकता था।”

वहीं दूसरी ओर, काजी मस्त थे। उन्होंने रेडियो पर किशोर कुमार के पुराने गीत लगा रखे थे और हल्की मुस्कान के साथ अतीत में खोए हुए थे।


कसारा घाट की पहली दस्तक – अचानक आई वो औरत

रात के 2 बजे, उनकी गाड़ी ने कसारा घाट में प्रवेश किया। यहां सड़कों के दोनों ओर पेड़ों की घनी कतारें थीं। चांदनी बादलों के पीछे छिपी थी, और केवल गाड़ी की हेडलाइट्स ही एकमात्र रोशनी थीं।

मोहन को थकान के कारण नींद आने लगी थी। मगर रास्ता खाली था, ट्रैफिक नहीं था। उसने सोचा, “थोड़ा स्पीड बढ़ा देता हूँ।”

जैसे ही स्पीड बढ़ाई — सामने अचानक एक औरत आ गई!

मोहन के पास ब्रेक मारने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। ज़ोर की टक्कर हुई। गाड़ी झटके से रुकी, काजी भी जाग गए।

“क्या हुआ?” काजी ने पूछा।

मोहन ने काँपती आवाज़ में कहा, “कोई औरत थी… मैंने उसे टक्कर मार दी। देखना पड़ेगा…”

जैसे ही मोहन गाड़ी से बाहर जाने लगा, काजी ने उसका हाथ पकड़ लिया।

“रुको! इस घाट पर बाहर मत जाना। कुछ भी हो जाए।”


कसारा घाट की चेतावनी – जहाँ जिन्दा और मुर्दा साथ रहते हैं

काजी ने फुसफुसाते हुए कहा —

“बेटा, यह घाट साधारण नहीं है। यहाँ आत्माएं बसती हैं। जो रास्ते में दिखती हैं, वे हमेशा मदद नहीं चाहतीं… वो बस चाहती हैं कि कोई उनके साथ उस खाई में गिर जाए — हमेशा के लिए।”

मोहन ने यह सुनकर गाड़ी की विंडशील्ड से बाहर देखा — सब कुछ धुंधला था। तभी, rearview mirror में कुछ दिखा — खून से सने हाथ, गाड़ी के पिछले हिस्से को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे।

मोहन खुद को रोक नहीं पाया। वह गाड़ी से बाहर गया।

काजी भी डरते-डरते बाहर आए।

पीछे… कोई नहीं था।


दूसरी झलक – सफेद साड़ी और बिना सिर की रूह

गाड़ी में वापस बैठते ही मोहन का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। गाड़ी अब घाट के दूसरे हिस्से में प्रवेश कर चुकी थी। तभी अचानक एक और ज़ोर की आवाज़ — जैसे फिर कुछ टकराया।

मोहन ने गाड़ी रोक दी, और बाहर उतर गया।

इस बार, पास ही, एक औरत बैठी थी। वही सफेद साड़ी, वही लंबी बालों की लटें, वही शांत-सी बैठी परछाईं।

मोहन धीरे-धीरे उसके पास गया।

तभी पीछे से काजी की आवाज़ आई — “बेटा, वापस आ! अब और मत बढ़।”

औरत ने धीरे-धीरे अपना सिर उठाया…

पर वहाँ सिर था ही नहीं।

मोहन की चीख निकल गई। वह दौड़कर वापस गाड़ी में आया। काजी ने दरवाज़ा बंद किया, और दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा — चेहरों पर खून नहीं, लेकिन डर का रंग गाढ़ा हो चुका था।


कसारा घाट से बाहर — एक ढाबे की राहत या नई सज़ा?

किसी तरह गाड़ी चलाते हुए वे कसारा घाट से बाहर निकले और कुछ किलोमीटर आगे एक ढाबे पर रुके। दोनों पसीने से तरबतर थे।

ढाबे वाला पास आया, बोला, “क्या हुआ साहब? सब ठीक है?”

मोहन ने कांपते हुए कहा, “अभी-अभी एक औरत देखी… बिना सिर के… सफेद साड़ी में… बार-बार हमारी गाड़ी के सामने आ रही थी।”

ढाबे वाला कुछ देर शांत रहा, फिर बोला —

“आप सौभाग्यशाली हैं साहब। बहुत लोग उस घाट से नहीं निकल पाते। आपने जो देखा, वो यहाँ की सच्चाई है। एक औरत की आत्मा, जिसकी मौत उसी घाट पर हुई थी, हर रात अपने बदले के लिए किसी को ढूंढती है।”


आखिरी झटका – गाड़ी की पिछली सीट पर कौन है?

ढाबे वाला पानी लाने गया। थोड़ी देर बाद वापस आया — तीन गिलास पानी के साथ

मोहन ने चौंक कर पूछा — “तीसरा किसके लिए?”

ढाबे वाला बोला —
“साहब, आपकी गाड़ी की पिछली सीट पर जो मैडम बैठी हैं… उन्हें भी तो प्यास लगी होगी ना…”

मोहन और काजी ने पीछे मुड़कर देखा। गाड़ी की पिछली खिड़की पर कोई छाया थी।

दोनों ने बिना एक पल गंवाए पानी के गिलास फेंके, और वहां से भाग निकले — बिना पीछे देखे।


उपसंहार – कुछ यात्राएँ मंज़िल तक नहीं जातीं…

“कसारा घाट सिर्फ एक रास्ता नहीं… एक दरवाज़ा है — दो दुनियाओं के बीच का। जहाँ एक तरफ तुम हो… और दूसरी तरफ वो हैं… जो कभी थे।”

इस कहानी का मकसद आपको डराना नहीं है, बल्कि सावधान करना है।

रात के सफर, सुनसान रास्ते, और बिना सोचे-समझे लिए गए मोड़ — कभी-कभी ये सब मिलकर तुम्हें एक ऐसी जगह ले जाते हैं… जहाँ से लौटने का रास्ता होता नहीं, बस किस्से बनते हैं।


अगर आपने यहां तक पढ़ा है, तो…

👉 इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें
👉 कॉमेंट में बताएं: क्या आपके साथ कभी कुछ अजीब हुआ है सफर में?
👉 और ऐसी ही रियल हॉरर स्टोरीज़ के लिए फॉलो कीजिए हमारा ब्लॉग

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *