(एक अनकही सच्ची घटना, जिसे एक पाठक ने हमारे साथ बाँटा है)
मैं जानता हूँ, बहुत लोग इस पर यकीन नहीं करेंगे।
आप कहेंगे ये सब मन का भ्रम है, डर की उपज है, या फिर मेरी कल्पना। लेकिन जो मैंने देखा, महसूस किया और जिया — वो अब भी हर रात मेरे सपनों में लौटकर आता है।
मेरा नाम विपुल शर्मा है। मैं पेशे से एक फोटोग्राफर हूँ — डॉक्यूमेंट्रीज़ और फ़ोटोजर्नलिज़्म का काम करता हूँ। दो साल पहले, सितंबर की शुरुआत में, मैं उत्तर प्रदेश के एक गाँव चमरौली में एक लोक-कला पर रिसर्च के लिए गया था।
चमरौली… वो जगह, जहाँ सन्नाटा बोलता है। जहाँ सूरज ढलते ही हर घर का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया जाता है। और सबसे अजीब बात? गाँव के एक कोने में एक पुराना शमशान, जो गाँव से थोड़ा दूर, एक जले हुए कुएँ के पास है।
मुझे वहां एक हफ्ता रहना था। और जो कुछ वहाँ हुआ… मैं अब तक समझ नहीं पाया कि वो सपना था या शाप।
गाँव का रहस्य – Erotic Horror Story in hindi
गाँव के बुजुर्ग शुरू से ही मेरे सवालों पर चुप रहते थे। कोई नहीं बताता था कि शाम होते ही सब इतने डरे क्यों रहते हैं। बस एक बात हर किसी ने कही:
“शाम के बाद शमशान के पीछे मत जाना। वहाँ कुछ है… औरत का साया।”
किसी ने कहा वो “पिशाचिनी” है। किसी ने कहा “चुड़ैल”, तो किसी ने कुछ और। पर सबकी आँखों में एक सच्चा डर था।
मैं इसे अंधविश्वास मानकर अनदेखा कर गया। मैं कैमरा लेकर गांव के चारों ओर घूमता, फोटो लेता, बच्चों से बातें करता, लोकगीत रिकॉर्ड करता।
तीसरे दिन, शाम ढलते-ढलते, मुझे लगा जैसे कोई मुझे घूर रहा है।
पहली झलक
उस दिन आसमान में बादल घिरे थे। हल्की बूंदाबांदी हो रही थी। मैं गाँव के पश्चिमी छोर पर पुराने पीपल के पास खड़ा तस्वीरें खींच रहा था, तभी मेरी नज़र दूर शमशान की ओर गई।
वहाँ, धुंध के पार, एक साया खड़ा था। एक औरत। सफेद साड़ी में। उसके बाल लंबे थे, छाती तक लहराते हुए, और चेहरा… धुंध में अधछिपा।
वो सिर्फ़ खड़ी थी, जैसे मेरा इंतज़ार कर रही हो।
मैंने लेंस ज़ूम किया, लेकिन कैमरे में कुछ साफ़ नहीं आया। और जब नज़रें हटाईं, वो गायब थी।
उसी रात मुझे पहली बार वो मिली।
उसकी गंध- Erotic Horror Story in hindi
हवेली के अंदर एक कमरा मुझे ठहरने को दिया गया था। लकड़ी की पुरानी खिड़की, लोहे का पलंग, और कमरे में एक बासी सी गंध — जैसे पुराने फूलों और धुएँ की मिली-जुली खुशबू।
रात करीब 2 बजे मेरी आँख खुली।
कमरे में अजीब ठंड थी। पसीने से भीगा हुआ था, लेकिन खिड़की बंद थी। तभी मेरी गर्दन पर किसी की सांसें महसूस हुईं। ठंडी… और कामुक।
मैंने झटके से पलट कर देखा।
वो थी — वही सफेद साड़ी वाली औरत। पर अब वो और ज़्यादा साफ़ दिख रही थी। गोरी, सुंदर, पर उसकी आँखों में गहराई नहीं थी… वो बस खाली थीं।
उसने मेरे सीने पर हाथ रखा। उसकी उंगलियाँ बर्फ जैसी थीं।
“तू आया है मेरे पास…” – उसने धीरे से कहा। उसकी आवाज़ में प्यास थी।
मैं बोल नहीं पाया। वो मेरे ऊपर झुकी और उसके होंठ मेरे होंठों से छू गए। एक चुंबन… जो मौत जैसा ठंडा और जीवन जैसा गीला था।