छाया घाट की रहस्यमयी रात – भाग 1 – Real Ghost Story in Hindi
ऋषिकेश — एक ऐसा पवित्र स्थल जहाँ लोग दुनियाभर से आध्यात्मिक शांति और रोमांच की तलाश में आते हैं। लेकिन इस शांति और प्रकृति की गोद में एक ऐसा कोना भी है, जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं — छाया घाट।
यह कहानी आज से तीन साल पहले, सन 2022 की है। मुंबई के चार पक्के दोस्त — श्वेता, आदित्य, नेहा और सिद्धार्थ — ऋषिकेश घूमने आए थे। इनका मकसद था: रिवर राफ्टिंग, एडवेंचर और कुछ यादगार पल। इन्होंने एक होटल में रुकने का प्लान बनाया और तय किया कि पहले नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन करेंगे और फिर अन्य जगहें एक्सप्लोर करेंगे।
एक दिन शाम के लगभग 4 बजे, ये चारों नीलकंठ महादेव के दर्शन के लिए निकल पड़े। मौसम ठंडा था, हल्की धुंध और पहाड़ी रास्ता। मंदिर के दर्शन करने के बाद, जब ये अपने होटल की ओर लौट रहे थे, तब अंधेरा गहराने लगा था। रास्ता पगडंडी वाला और सुनसान था।
इन्हें रास्ते में एक बुजुर्ग आदमी मिला, जो लकड़ी का गट्ठा उठाए जा रहा था। उस आदमी ने कहा,
“सीधे जाकर जब दो रास्ते आएं, तो बाएं मुड़ना… दाएं मत जाना, वरना बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी।”
दोस्तों ने उसकी बात मानी और बाईं ओर मुड़ गए। थोड़ी दूर चलने के बाद, इन्हें एक घाट दिखाई दिया, जिस पर बड़ा सा पत्थर था और उस पर लिखा था — छाया घाट।
घाट सुनसान था। ना कोई आरती, ना कोई श्रद्धालु — कुछ भी नहीं। ये सब उत्साहित थे कि कोई हिडन जगह मिल गई। फोटो खींचे, वीडियो बनाए और सोचा कि त्रिवेणी घाट पास में ही होगा, वहीं से होटल पहुंच जाएंगे। लेकिन जब ये आगे बढ़ने लगे, तो कुछ अजीब होने लगा।
हर बार ये किसी भी रास्ते पर चलते, तो फिर से उसी घाट पर लौट आते। जैसे कोई भूल-भुलैया हो। ये चारों समझ नहीं पा रहे थे कि वो एक ही जगह बार-बार क्यों लौट रहे हैं।
अब रात के करीब 9:30 बज चुके थे। नेहा ने सुझाव दिया कि इस खुले से चट्टानों वाले हिस्से में रात बिता लेते हैं। बाकी सब भी थक चुके थे और सहमत हो गए। ये चारों चट्टानों के घेरे में बैठकर थोड़ी-थोड़ी झपकी लेने लगे।
लेकिन रात इतनी शांत नहीं थी…
करीब आधी रात के समय, एक जोर की आवाज आई — जैसे कोई पानी में गिरा हो। नेहा की आंख खुली, उसने देखा कि आदित्य नदी के बीचों-बीच डूब रहा है और मदद के लिए चिल्ला रहा है। बाकी सब चौंक गए। सिद्धार्थ दौड़कर उसे बचाने जा ही रहा था कि तभी किसी ने उसके कंधे से उसे पकड़ लिया।
पीछे मुड़कर देखा — वहीं खड़ा था आदित्य। एकदम सूखा, बिलकुल ठीक।
“मैं तो उधर गया ही नहीं। मैं तो साइड में पेशाब करने गया था,” आदित्य बोला।
श्वेता और नेहा भी हैरान थीं। “हमने तो तुम्हें साफ-साफ पानी में डूबते देखा था!”
अब सभी का चेहरा सफेद पड़ चुका था। ये भ्रम था या कुछ और?
रात अभी बाकी थी… और छाया घाट की असली सच्चाई तो अब सामने आनी बाकी थी…