ऋषिकेश के छाया घाट की रहस्यमयी रात- Real Ghost Story- based on True Incident

छाया घाट की real ghost story जानें, जहां चार दोस्तों ने अनुभव किया अतीत का खौ़फनाक रहस्य। एक खौ़फनाक कर्स और भूतिया आत्माओं के बीच फंसी ये कहानी आपको थरथर कांपने पर मजबूर कर देगी।
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छाया घाट की रहस्यमयी रात – भाग 9

झील के किनारे खड़ा वह धुएँ से बना भयानक साया धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। उसके हर कदम पर ज़मीन काँपने लगती। ठंडी हवा अब चुभने लगी थी — जैसे कोई बर्फीली मौत पास आ रही हो।

नेहा ने काँपती आवाज़ में पूछा,
“ये… ये क्या है?”

बूढ़ी औरत फुसफुसाई,
“ये ‘छाया घाट का रक्षक’ है। कभी किसी तांत्रिक ने इसे बुलाया था, लेकिन फिर इसे बाँध दिया गया। आज इतने वर्षों बाद, श्वेता की आत्मा ने इसे फिर से जगा दिया है…”

सिद्धार्थ, अब होश में, ज़मीन पर बैठा हाँफ रहा था।
“मैंने… मैंने देखा था उस छाया को… वो श्वेता को पूरी तरह अपना बना चुका था।”

छाया अब उनकी तरफ़ झपटने लगी। सब भागने लगे, लेकिन घाट के चारों ओर घना कोहरा छा चुका था। रास्ते गुम हो चुके थे।

तभी आदित्य ने देखा — घाट की पुरानी सीढ़ियों के नीचे एक टूटी हुई मूर्ति थी, जिस पर वही तांत्रिक चिन्ह बने थे जो उन्होंने किताब में देखे थे।

“ये वही जगह है जहाँ उसे बाँधा गया था!” आदित्य चिल्लाया।

नेहा ने बिना सोचे समझे वहाँ रखे घड़े से पानी निकाला, जिसे गंगाजल समझकर वे लाए थे, और मूर्ति पर छिड़क दिया।

एक झटके में पूरी घाटी गूंज उठी।

छाया एक डरावनी चीख के साथ रुक गई।

उसका शरीर काँपने लगा… उसने कहा,
“तुम मुझे फिर से बाँध नहीं सकते… मैं अब पूर्ण हूँ… मैं अब… मुक्त हूँ…”

और तभी…

झील की सतह पर लहरों के बीच से एक और आकृति निकली — श्वेता की आत्मा!

लेकिन इस बार वो रो रही थी…

“उसे मत छोड़ो… वो तुम्हारे साथ नहीं… पूरी दुनिया को निगल जाएगा…”

भयानक परछाई अब दो रूपों में सामने थी — एक क्रोध से भरी और एक दुःख में डूबी हुई।

और फिर…

घाट पर हर दीपक एक साथ बुझ गया।

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