भाग 1: वह शापित रात और एक अंधी जिद | Erotic Horror Story in Hindi
Erotic Horror Story in Hindi | मौसम बेहद खराब था। आसमान से मानो आफत टूट रही थी। बारिश की मोटी-मोटी बूंदें छत पर ऐसे गिर रही थीं मानो कोई पत्थर बरसा रहा हो। रहीम चाचा का छोटा-सा, सुकून भरा घर इस तूफान में एक नन्हीं नाव की तरह हिल रहा था। अंदर का माहौल भी तूफानी था।
डिनर की मेज पर बैठे रहीम चाचा और उनकी पत्नी का चेहरा गंभीर था। उनके सामने खड़ी उनकी इकलौती बेटी जारा, जिसका चेहरा गुस्से और जिद से लाल हो रहा था।
“अब्बू, यह मेरी सबसे अच्छी दोस्त की शादी है! मैं नहीं गई तो वह मुझे कभी माफ़ नहीं करेगी!” जारा की आवाज़ में रोने का स्वर था।
“बेटा, तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है। ऊपर से तुम उन दिनों में हो… इतनी रात को बारिश में बाहर जाना ठीक नहीं,” रहीम चाचा ने प्यार से समझाने की कोशिश की।
“अब्बू, प्लीज! बस कुछ घंटों की बात है। मैं वादा करती हूँ, शादी खत्म होते ही लौट आऊंगी। मेरे सारे दोस्त जा रहे हैं, मैं अकेली कैसे नहीं जा सकती?” जारा ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
उसकी माँ ने बीच-बचाव करते हुए कहा, “अरे जाने दीजिए ना, हर बार तो ऐसे नहीं होता। दोस्त की शादी है, नाराज़ हो जाएंगे।”
लेकिन रहीम चाचा अपनी बात पर अड़े रहे। आखिरकार, जारा के लगातार रोने और माँ के समझाने के बाद उन्होंने अपनी हाँ में सिर हिला दिया, लेकिन एक सख्त शर्त के साथ, “ठीक है, लेकिन ज्यादा देर नहीं करनी। याद रखना, कोई भी बहाना नहीं चलेगा।”
जारा की खुशी का ठिकाना नहीं था। लेकिन उसने नहीं जानता था कि यह जिद उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा और सबसे डरावना फैसला साबित होने वाला है।
शादी का माहौल जारा के मूड के अनुरूप ही था—रंगीन, जिंदादिल और मस्ती से भरपूर। गुलाबी लहंगे और खुशबूदार इत्र ने उसे पार्टी की स्टार बना दिया था। वक्त की परवाह किए बिना वह दोस्तों के साथ मस्ती में डूबी रही। जब उसे होश आया, तब तक रात के 12 बज चुके थे। अपने सख्त अब्बू के डर से उसने रात भर रुकने का प्लान कैंसिल कर दिया और रिजवान से कहा कि वह उसे घर छोड़ दे।
कार चलते ही बाहर का डरावना माहौल अंदर तक महसूस होने लगा। बारिश की मोटी बूंदें कार के शीशों पर जोरदार प्रहार कर रही थीं, जिससे आगे का रास्ता मुश्किल से दिखाई दे रहा था। रिजवान ने रेडियो चालू किया, जिस पर एक पुराना हिंदी गाना बज रहा था।
“रिजवान भाई, इस मौसम में यह पुराने गाने सच में डरावने लगते हैं, प्लीज कुछ और सुनाओ,” जारा ने सिहरते हुए कहा।
“अरे पागल, पुराने गानों की तो बात ही अलग है। यह मौसम और यह गाने… परफेक्ट कॉम्बिनेशन है!” रिजवान हँसा।
लेकिन जारा को कुछ और ही महसूस हो रहा था। उसे लग रहा था जैसे कोई उन्हें देख रहा है। सड़क के दोनों ओर घने, काले पेड़ ऐसे लग रहे थे जैसे कोई दैत्य खड़े हों। अचानक कार एक जोरदार झटके के साथ रुक गई। इंजन ने एक अजीब-सी आवाज़ निकाली और फिर चुप हो गया।
रिजवान ने कार को दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश की, लेकिन सभी कोशिशें नाकाम रहीं। “पता नहीं आज कार क्या ड्रामा कर रही है। तू रुक, मैं देखता हूँ,” कहकर वह टॉर्च लेकर बाहर निकला।
जारा अंदर अकेली थी। घनघोर अंधेरे और बारिश के शोर के बीच उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी… “जारा… बाहर आओ… मैं आ गया हूँ…”
यह आवाज़ रिजवान जैसी ही थी। जारा ने खिड़की से बाहर झांका, “भाई, आप कहाँ हो? मैकेनिक मिल गए क्या?”
“हाँ… इधर आओ… गेट के पास… जल्दी आओ… तुम्हें कुछ दिखाना है…” आवाज़ फिर आई।
जारा को लगा शायद रिजवान को कोई मदद चाहिए। उसने बिना सोचे कार का दरवाजा खोला और उस डरावने अंधेरे में आवाज़ की दिशा में चल पड़ी। बारिश की बूंदें उसके चेहरे पर चुभ रही थीं। वह एक पुराने, जंग लगे गेट के सामने जा पहुंची।
“भाई, यह गेट तो लॉक है, आप इसे कैसे पार कर गए?” जारा ने चीख़कर पूछा।
“गेट पर… एक तावीज बंधा है… उसे खोल दो… और फिर गेट को धक्का मारो…” आवाज़ ने कहा।
जारा ने देखा, सच में गेट के बीचों-बीच एक पुराना, मैला-सा तावीज बंधा हुआ था, जिस पर अजीब निशान बने थे। एक अजीब-सी शक्ति ने उसे वह तावीज खोलने के लिए मजबूर कर दिया। गांठ बेहद कसी हुई थी, लेकिन जारा ने अपनी सारी ताकत लगाकर उसे खोल ही दिया।
जैसे ही तावीज खुला, गेट के पार से एक गूंजती हुई आवाज़ आई, “शाबाश जारा… अब गेट को धक्का मारो… जल्दी!”
जारा ने कांपते हाथों से गेट को हल्का-सा धक्का दिया। गेट चरमराते हुए, एक भयानक आवाज़ के साथ खुल गया। जारा के शरीर में एक तेज झटका-सा लगा। उसकी आँखों की चमक गायब हो गई, उनमें एक अजीब-सा खालीपन छा गया। वह बिना कुछ सोचे-समझे, एक रोबोट की तरह, उस अंधेरे कब्रिस्तान के अंदर की ओर चल पड़ी…
…क्या उसने अपनी मर्जी से किसी शापित दुनिया का दरवाजा खोल दिया था? उस अंधेरे में उसका इंतज़ार कौन कर रहा था?