पिशाचिनी की कोख: भाग 4 – पिशाच का अंश | Hindi Horror Story
यह सुन रोहन के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वह किसी तरह मौत के मुँह से बचकर आया था। इसके बाद वह शहर लौट आया। “वो सब तो ठीक है, लेकिन तुझे कैसे पता कि यह बच्चा यक्षिणी का है?” विक्रम ने पूछा।
“इस चिट्ठी से,” रोहन ने चिट्ठी विक्रम को दी। “इसमें साफ़ लिखा है कि यह बच्चा मेरा है।”
“अगर यह बच्चा यक्षिणी और तेरा है तो मतलब यह बच्चा भी पिशाच है?” विक्रम का चेहरा डर से सफ़ेद पड़ गया।
रोहन ने बच्चे को ध्यान से देखा। बच्चा सोफे पर आराम से सो रहा था। उसकी मासूमियत देखकर एक पल के लिए रोहन को लगा कि विक्रम शायद डर से ऐसा कह रहा है। तभी बच्चे ने अपनी आँखें खोलीं। उसकी आँखों का रंग लाल था, और उनमें एक अजीब सी चमक थी। बच्चे ने रोहन को देखकर एक ऐसी मुस्कान दी जिसमें मासूमियत नहीं, बल्कि शैतानी झलक रही थी।
डर के मारे रोहन और विक्रम पीछे हट गए। बच्चे के होठों पर एक भयानक मुस्कान आ गई, और उसके चेहरे पर दरारें पड़नी शुरू हो गईं। उसके नन्हे हाथ अजीब तरीके से लंबे होने लगे, जैसे वह सोफे से कूदकर रोहन और विक्रम तक पहुंचना चाहता हो। “भागो!” विक्रम ने चीखते हुए कहा, लेकिन दरवाज़े पर फिर से जोरदार दस्तक हुई।
बाहर से एक डरावनी आवाज़ आई, “तुम्हारी औलाद को अकेला मत छोड़ना… मैं आ गई हूँ।“
रोहन और विक्रम का चेहरा डर से सफ़ेद पड़ गया। क्या सचमुच वो बच्चा पिशाच है? क्या वह चिट्ठी यक्षिणी का एक नया जाल है? और अब दरवाज़े पर कौन खड़ा है, यक्षिणी या मौत?
रोहन ने काँपते हुए अपने हाथ में एक त्रिशूल उठाया, जिसे उसने अपनी माँ की पूजा के लिए रखा था। क्या वो त्रिशूल इस पिशाचिन के अंश को ख़त्म कर पाएगा?
यह एक ऐसी रात थी जो ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी, एक ऐसी रात जिसमें रोहन ने अपनी सबसे बड़ी भूल कर दी थी। Hindi Horror Story