पार्ट 10: ट्रेन का अंतिम स्टेशन
रवि अब और नहीं डर सकता था। उसने अंदर से महसूस किया कि वह इस जगह से बाहर नहीं जा सकता। प्लेटफॉर्म के हर कोने में, समय जैसे थम गया था। घड़ी की टिक-टिक अब धीमी हो गई थी।
और फिर, वह बूढ़ा आदमी एक कदम आगे बढ़ा।
“यह एक वादा है। तुमने स्टेशन पर कदम रखा, और अब तुम इसी के हो,” बूढ़े ने कहा। उसकी आवाज़ गहरी और कर्कश थी।
रवि डर के मारे काँपते हुए बोला, “मैं नहीं चाहता। मुझे घर जाना है। मुझे छोड़ दो!”
लेकिन बूढ़े ने उसे घूरते हुए कहा, “तुमने जान लिया है कि यह जगह क्या है। अब तुम्हारे पास कोई रास्ता नहीं है।”
इतना कहते हुए, बूढ़ा आदमी पीछे हट गया और एक पुरानी ट्रेन की आवाज़ सुनाई दी। ट्रेन के इंजन की आवाज़ धीरे-धीरे तेज़ होती गई। रवि की आँखों के सामने एक धुंधली सी ट्रेन खड़ी हो गई थी, जो लम्बे समय से खड़ी थी, जैसे उसे ही इंतजार हो।
रवि ने डरते हुए एक कदम बढ़ाया, लेकिन तभी ट्रेन के दरवाजे से एक और आवाज़ आई — “जो इस ट्रेन में बैठता है, वह वापस नहीं लौटता।”
रवि के दिल की धड़कन तेज़ हो गई, लेकिन उसकी आँखों में अब एक अजीब सी ताकत थी। वह जानता था कि अगर वह इस ट्रेन में बैठ गया, तो उसे कभी बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा। लेकिन क्या वह चुपचाप स्टेशन छोड़कर चला जाएगा, या इस रहस्यमयी जगह में फँसकर रह जाएगा?
ट्रेन के दरवाजे पर खड़ी आत्माएं उसे देख रही थीं। उनकी आँखों में वही घबराहट थी, जो उसने पहले महसूस की थी।
रवि ने आखिरी बार अपने जीवन को महसूस किया। उसने ट्रेन में कदम रखा। ट्रेन का दरवाजा बंद हो गया, और वह अंधेरे में खो गया।
क्या रवि अब इस स्टेशन का हिस्सा बन चुका है? क्या वह भी अब कभी नहीं लौटेगा?
समाप्त!