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पार्ट 5: मौत की पटरी – Desi kahani bhoot ki
रात के ढाई बजे, रवि काँपते कदमों से प्लेटफॉर्म नंबर 3 की ओर बढ़ा।
चारों ओर अजीब सी खामोशी थी, बस कभी-कभी हवा में सीटी जैसी आवाज़ आती, मानो कोई अदृश्य ट्रेन आने वाली हो।
प्लेटफॉर्म पर पहुँचते ही रवि को लगा जैसे वक़्त थम गया है। घड़ी की सुइयाँ बंद थीं, और पूरी जगह पर एक अजीब सी नमी थी।
फिर… उसे कुछ दिखा।
एक पुराना अख़बार हवा में लहराता हुआ उसके पैरों के पास आ गिरा।
रवि ने झुककर उसे उठाया — उस पर तारीख़ थी: 12 जून, 1994।
हेडलाइन थी —
“युवती ने प्रेमी के इंतज़ार में ट्रेन के आगे कूदकर जान दी”
नाम… शालिनी।
रवि का दिल थम गया।
तभी उसे लगा जैसे पीछे कोई खड़ा है।
वो मुड़ा… और वहाँ शालिनी थी।
लेकिन इस बार वो वैसी नहीं दिख रही थी जैसी आत्माएँ होती हैं। वो इंसान जैसी लग रही थी — वही पुराना सलवार सूट, भीगे बाल, आँखों में अधूरी मोहब्बत की टीस।
“तुम आ गए… आखिरकार,” वो धीमे से बोली।
रवि की आँखें भर आईं।
“तुम कौन हो?” उसने पूछा।
शालिनी ने उसकी ओर देखा —
“मैं वो हूँ जिसका वादा तो किया गया… लेकिन निभाया नहीं गया। मैंने इंतज़ार किया, हर रात, हर ट्रेन के आने का… और अब तुम आए हो।”
“लेकिन मैं… मैं वो नहीं हूँ…” रवि ने कहना चाहा।
शालिनी ने अपनी ठंडी उँगलियाँ उसके चेहरे पर रखीं।
“तुम वही हो… या शायद उसका दूसरा रूप।”
अचानक चारों ओर अंधेरा छा गया। स्टेशन की बत्तियाँ फड़कने लगीं।
शालिनी की आँखें अब जलने लगी थीं।
“अब तुम मेरा वादा पूरा करोगे… तुम मेरे साथ चलोगे!”
रवि की चीख प्लेटफॉर्म पर गूंज उठी — और फिर सब शांत हो गया।