[Real Horror Story]अधूरी आत्मा: सरकारी क्वार्टर की खौफनाक रातें

असम के एक क्वार्टर में घटी Real Horror Story in Hindi — रहस्यमयी घटनाएं, एक आत्मा और एक रात जिसने सब कुछ बदल दिया।
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🩸 भाग 9: अंतिम रेखा

“नीचे चलो,” नानी ने कहा, अपनी कमर से एक लोहे की चाबी निकालते हुए। “ये चाबी उस द्वार की है… जहाँ से शाप की आत्मा आई थी।”

घर के तहख़ाने में एक गुप्त दरवाज़ा था, लकड़ी के तख्तों के पीछे छिपा हुआ। जैसे ही नानी ने चाबी से ताला खोला, एक सड़ी-गली गंध हवा में फैल गई।

“यहाँ… यहाँ कुछ बुरा है…” माँ ने मुंह पर हाथ रखते हुए कहा।

अंदर एक पतली सुरंग थी, जो नीचे की ओर जाती थी। दीवारों पर खून जैसे निशान थे — कुछ ताज़े, कुछ पुराने। हर कदम पर आत्मा की फुसफुसाहटें सुनाई दे रही थीं।

क्रिस्टी बीच में ही खड़ी हो गई, उसकी आँखें अब पूरी तरह काली हो चुकी थीं। उसके होंठ हिलने लगे — लेकिन आवाज़ किसी और की थी।

“तुम सबने मुझे भूला दिया… लेकिन मैं यहीं था… हर साँस के साथ… हर परछाई में…”

नानी ने ताबीज़ को हवा में उठाया, “तेरी जगह वहीं है जहाँ तुझे बांधा गया था। तू इस देह को छोड़ दे!”

आत्मा ने ज़ोर से चिल्लाया, और पूरी सुरंग काँपने लगी। ऊपर घर की दीवारों में दरारें आ गईं।

“जल्दी करो!” मामा चिल्लाया, “शाप का द्वार खुला है, अगर अब इसे बंद नहीं किया, तो कोई नहीं बचेगा।”

वे सभी सुरंग के अंत में पहुँचे — वहाँ एक बड़ा पत्थर का द्वार था, जिस पर अजीब से मंत्र खुदे थे। उसके बीचों-बीच एक हाथ रखने की आकृति बनी थी।

“क्रिस्टी को इसके पास लाओ,” नानी ने कहा, “उसी के स्पर्श से यह द्वार फिर से बंद होगा।”

लेकिन क्रिस्टी अब पूरी तरह आत्मा के कब्ज़े में थी। उसकी हँसी अब गूँज बन चुकी थी — डरावनी, खोखली, और मौत जैसी।

क्या वे उसे नियंत्रण में ला पाएँगे?

या अब सब कुछ समाप्त होने वाला है?

[Real Horror Story ke अंतिम भाग में जारी… सब कुछ दांव पर है — जीवन, आत्मा, और भैरवपुर का भविष्य। जानने के लिए पढ़ें Next Page 10]

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